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राहुल गांधी बताएं, ₹8500 महीना देने की आवाज चुनाव के वक्त ही क्यों?

नई दिल्ली: 25 Nov

वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के उत्तर प्रदेश इकाई ने नई दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर धरना दिया। धरने में राहुल गांधी को दिल्ली पुलिस के माध्यम से ज्ञापन भेजते हुए  यह सवाल उठाया कि देश की जनता यह जानना चाहती है कि आप चुनाव के समय ही लोगों को सीधे नगद पैसा देने की आवाज क्यों उठाते हैं और फिर 5 साल तक भूले  क्यों रहते हैं? अपने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि मेरी सरकार आएगी तो लोगों को 72000 सालाना यानी  ₹6000 महीने न्याय योजना के नाम पर दिया जाएगा। यह रकम देश के प्रति वोटर औसत आमदनी की आधी रकम थी। चुनाव ख़त्म होने के बाद 5 साल आप इस विषय पर चुप रहे। अपने संसद में एक बार भी  देश के लोगों को ₹6000 महीना देने का कानून बनाने की आवाज़ नहीं उठाई। 2024 के लोकसभा चुनाव शुरू होते ही आपने लोगों को 8500 महीने देने का ऐलान कर दिया। 2024 में यह रकम प्रति वोटर की औसत आमदनी की आधी रकम है।

वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल डरा ज्ञापन के माध्यम से कहा गया है कि राहुल गाँधी वास्तव में लोगों को ‘आर्थिक न्याय’ देना चाहते हैं। क्योंकि संसद की गोयल कमेटी ने लोगों को प्रति वोटर की औसत आमदनी की आधी रकम वोटरशिप अधिकार के तौर पर देने की मंजूरी सन 2011 की अपनी रिपोर्ट में दी थी। votership.com की वेबसाइट पर यह रिपोर्ट आज भी देखी जा सकती है। यदि आप देश की समृद्धि में देश के प्रत्येक व्यक्ति को हिस्सेदार बनाने के लिए 8500 महीना देने की आवाज उठाते हैं तो राहुल गाँधी देश के एकमात्र नेता हैं, जो देश में चल रहे आभासी और छद्म लोकतंत्र को वास्तविक लोकतंत्र में रूपांतरित करना चाहते हैं।

किंतु यह बात समझ से परे है कि राहुल गाँधी लोगों को नगद पैसा देने की आवाज केवल चुनाव के समय ही क्यों उठाते हैं और बाकी 5 साल चुप क्यों रहते है? लोगों को देश की समृद्धि में हिस्सेदारी देने के लिए कांग्रेस संसद में और सड़कों पर संघर्ष क्यों नहीं करती? लोगों को आर्थिक न्याय देने के लिए कांग्रेस सरकार पर दबाव क्यों नहीं बनाती? जिन-जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां देश की समृद्धि में देश के प्रत्येक व्यक्ति को हिस्सेदार बनाने के लिए लोगों को नकद पैसा देने की शुरुवात क्यों नहीं करती? लोगों के पास पैसा पहुंचने से देश का उद्योग व्यापार बढ़े, अर्थव्यवस्था में उत्पादन बढ़े और राष्ट्र का विकास हो, तो कांग्रेस को क्या तकलीफ है?

धरने में लोगों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि चूंकि राहुल गाँधी का कार्यालय किसी ईमेल का जवाब नहीं देता और किसी पेपर पत्र का जवाब भी नहीं देता। इसलिए जवाब पाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को तकलीफ उठाने और तपस्या करने के सिवा कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं बचा था। उम्मीद है कि ठिठुरती ठंड में आर्थिक न्याय के सत्याग्रही लोगों को राहुल गाँधी निराश नहीं करेंगे और जल्द से जल्द उक्त प्रश्नों का उत्तर देंगे और लोगों को अपने-अपने घर जाने के लिए कहेंगे, जिससे लोग ठंड के कारण बीमार होने से और मरने से बच जाएं। धरने में उपस्थित लोगों को मुख्य रूप से धरने के संयोजक श्री सादेश अली मसीह, दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री विशाल साहनी, पार्टी के महासचिव श्री शिवाकांत गोरखपुरी, आसाराम गौतम, रामनिवास शर्मा, राधेश्याम यादव आदि लोगों ने संबोधित किया। धरने में मैनपुरी, फर्रुखाबाद, एटा, जयपुर, गाजियाबाद, दिल्ली से आए पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए। धरना कल भी जारी रहेगा।

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