*ट्रैक मशीनें रेलवे सुरक्षा बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, क्योंकि ये ट्रैक का कुशल एवं सटीक रखरखाव सुनिश्चित करती हैं। वर्तमान में भारतीय रेल में 1684 ट्रैक मशीनें कार्य कर रही हैं। सुरक्षा बढ़ाने के लिये, 301 और मशीनों की आपूर्ति की जा रही है।*
*इंटीग्रेटेड ट्रैक मॉनिटरिंग सिस्टम मशीन का निरीक्षण रेल, सूचना एवं प्रसारण, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने किया। ऐसी मशीनें पूरे भारत में लगाई जायेंगी।*
*उन्होंने रेल-सह-सड़क निरीक्षण वाहन का भी निरीक्षण किया, जो ट्रैकमैन एवं भारतीय रेल के इंजीनियरों के जीवन को बदल सकता है।*
*भारतीय रेल को ट्रैक मशीनों की प्रमुख आपूर्तिकर्ता प्लासर इंडिया गति शक्ति विश्वविद्यालय, वडोदरा के लिए 10 बीटेक छात्रों को पूरे 4 वर्ष के लिये छात्रवृत्ति देने के लिए तैयार है।*
*प्लासर इंडिया कम्पनी का सबसे बड़ा प्लांट है, जो 2019 में वडोदरा के पास स्थापित किया गया है तथा भारत में बनी मशीनों को अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में निर्यात किया जा रहा है।*
*गोरखपुर, 06 दिसम्बर, 2024:* ट्रैक मशीनें पटरियों के कुशल और सटीक रखरखाव को सुनिश्चित करके रेलवे सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उनके मुख्य लाभ निम्नवत हैं।
*1. बेहतर ट्रैक गुणवत्ता*
– *रखरखाव में सटीकता:* टैम्पर, बैलास्ट रेगुलेटर तथा डायनेमिक ट्रैक स्टेबलाइजर जैसी मशीनें इष्टतम ट्रैक एलाइनमेंट, लेवलिंग एवं बैलास्ट कॉम्पैक्शन सुनिश्चित करती हैं। इससे अनियमिततायें कम होती हैं, जिससे ट्रेन संचालन सुचारू एवं सुरक्षित होता है।
– *निरन्तर प्रदर्शन:* मैनुअल तरीकों के विपरीत, ट्रैक मशीनें ट्रैक ज्यामिति में एकरूपता एवं स्थिरता बनाये रखती हैं।
*2. बढ़ी हुई सुरक्षा*
– *डिरेलमेंट के जोखिम को कम करना:* ट्रैक मशीनों का उपयोग करके नियमित रखरखाव से उचित रेल एलाइनमेंट एवं गेज बनाये रखने में मदद मिलती है, जिससे ट्रेन के पटरी से उतरने की सम्भावना कम हो जाती है।
– *समस्याओं का पता लगाना:* अल्ट्रासोनिक दोष डिटेक्टर एवं रेल ग्राइंडिंग मशीन जैसी उन्नत ट्रैक मशीनें, सुरक्षा जोखिमों में वृद्धि से पहले रेल क्रैकों या सतह की अनियमितताओं जैसी सम्भावित समस्याओं की पहचान करती हैं तथा उन्हें ठीक करती हैं।
*3. बढ़ी हुई दक्षता*
– *तेज संचालन:* ट्रैक मशीनें मैनुअल तरीकों की तुलना में बहुत तेजी से रखरखाव कार्य करती हैं, जिससे ट्रैक के आउट ऑफ सर्विस रहने का समय कम हो जाता है।
– *मानवीय त्रुटि में कमी:* स्वचालन मैनुअल हस्तक्षेप पर निर्भरता को कम करता है, जिससे रखरखाव प्रक्रियाओं में मानवीय त्रुटियाँ कम हो जाती हैं।
*4. वर्कर सुरक्षा*
– *कम शारीरिक तनाव:* स्वचालन कठोर मैनुअल कार्यों को समाप्त करता है, जिससे श्रमिकों को चोटों एवं थकान से बचाया जाता है।
– *रिमोट संचालन:* कई आधुनिक ट्रैक मशीनों को रिमोट से संचालित किया जा सकता है, जिससे वर्कर चलती ट्रेनों से सुरक्षित दूरी पर रह सकते हैं।
*5. दीर्घकालिक लाभ*
– *विस्तारित ट्रैक लाइफ:* नियमित तथा सटीक रखरखाव पटरियों के जीवन काल को बढ़ाता है, जिससे निरन्तर प्रदर्शन एवं सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
– *लागत बचत:* बड़ी विफलताओं तथा पटरी से उतरने से रोककर, ट्रैक मशीनें मरम्मत एवं दुर्घटनाओं से जुड़ी दीर्घकालिक लागतों को कम करती हैं।
*6. उन्नत निगरानी एवं निदान*
– ट्रैक ज्योमेट्री कार एवं रेल दोष डिटेक्टर जैसी मशीनें ट्रैक की स्थिति पर वास्तविक समय का डेटा प्रदान करती हैं, जिससे पूर्वानुमानित रखरखाव सम्भव होता है तथा अप्रत्याशित विफलताओं से बचा जा सकता है।
– रेलवे परिचालन में ट्रैक मशीनों के एकीकरण से सुरक्षा, दक्षता तथा विश्वसनीयता में उल्लेखनीय वृद्धि होती है, जिससे ट्रेन यात्रा अधिक सुगम एवं सुरक्षित हो जाती है।
*इंटीग्रेटेड ट्रैक मॉनिटरिंग सिस्टम (आई.टी.एम.एस.)*
इंटीग्रेटेड ट्रैक मॉनिटरिंग सिस्टम (आई.टी.एम.एस.) एक ऐसा सिस्टम है, जो ट्रैक रिकॉर्डिंग कार (टी.आर.सी.) पर लगाया जाता है। यह 20-200 किमी./घंटे की गति सीमा में ट्रैक के पैरामीटर्स को रिकॉर्ड एवं मॉनिटर करने की क्षमता रखता है। आई.टी.एम.एस. विभिन्न तकनीकों को जोड़कर रेलवे ट्रैक के पैरामीटर्स की मॉनिटरिंग तथा माप करता है, जिससे रेल संचालन सुरक्षित एवं कुशल बनता है। इस सिस्टम में निम्नलिखित उपकरण सम्मिलित हैं:
– बिना सम्पर्क वाले लेजर सेंसर
– हाई-स्पीड कैमरे
– लिडार (एल.आई.डी.ए.आर.)
– आई.एम.यू.
– एनकोडर
– एक्सेलेरोमीटर
– जी.पी.एस. आदि।
यह सिस्टम इन उपकरणों से डेटा इकट्ठा करने, उसका विश्लेषण करने तथा प्रोसेस करने के लिये डेटा एनालिटिक्स एवं एकीकृत सॉफ्टवेयर का उपयोग करता है।
आई.टी.एम.एस. को भारतीय रेल के ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम (टी.एम.एस.) के साथ जोड़ा गया है, ताकि प्रत्येक ट्रैक रिकॉर्डिंग रन की रिपोर्ट टी.एम.एस. पोर्टल पर उपलब्ध हो। 2022-23 एवं 2023-24 के दौरान, भारतीय रेल पर 03 आई.टी.एम.एस. शुरू किये गये हैं। ये टी.आर.सी., आर.डी.एस.ओ. के 7 टी.आर.सी. के बेड़े का हिस्सा हैं, जो भारतीय रेल की ट्रैक लम्बाई के 2.54 लाख किमी. वार्षिक दायित्व के लिये अनिवार्य ट्रैक रिकॉर्डिंग के लिये आवश्यक हैं।
यह सिस्टम रेल पथ (पी.वे.) अधिकारियों के लिये बेहद सहायक है क्योंकि यह खराब जगहों की तत्काल ट्रैक देखभाल के लिये रियल टाइम अलर्ट एस.एम.एस. एवं ईमेल प्रदान करता है।
आई.टी.एम.एस. मुख्य रूप से निम्नलिखित सब-सिस्टम्स से बना हैः
– *ट्रैक ज्योमेट्री मापन प्रणाली-* यह बिना सम्पर्क वाले लेजर सेंसर तथा हाई-स्पीड कैमरों की मदद से जड़त्वीय सिद्धान्त का उपयोग करके गेज, कैंट, क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर संरेखण जैसे ट्रैक ज्योमेट्री पैरामीटर्स का मापन करता है।
– *समग्र रेल प्रोफाइल और वियर मापन प्रणाली-* यह बिना सम्पर्क वाले लेजर सेंसर तथा हाई-स्पीड कैमरों की मदद से पूरे रेल प्रोफाइल एवं वियर का मापन करके रेल की स्थिति की निगरानी करता है।
– *ट्रैक कॉम्पोनेंट कंडीशन मॉनिटरिंग-* यह वीडियो निरीक्षण के माध्यम से ट्रैक घटकों (जैसे रेल, स्लीपर, फास्टनिंग, बैलास्ट) में दोषों की पहचान करता है। यह लूज/मिसिंग ट्रैक फिटिंग्स की पहचान के लिए लाइन स्कैन कैमरों और मशीन लर्निंग का उपयोग करता है।
– *एक्सेलेरेशन मापन-* एक्सेलेरोमीटर के माध्यम से एक्सल बॉक्स तथा कोच फ्लोर स्तरों पर एक्सेलेरेशन का मापन करता है, जिससे राइड क्वालिटी एवं खराब स्थानों की पहचान की जाती है।
– *रियर विंडो वीडियो रिकॉर्डिंग-* हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरों की मदद से ट्रैक की स्थिति तथा आसपास के वातावरण की निगरानी करता है, जिससे ट्रैक डिफेक्ट्स एवं एसेट्स का सम्बन्ध स्थापित किया जा सके।
– *इनफ्रिंजमेंट मापन प्रणाली-* यह लिडार (एल.आई.डी.ए.आर.) तकनीक का उपयोग करके एम.एम.डी./एस.ओ.डी. एनवेलप की निगरानी करता है।
*रेल-सह-रोड निरीक्षण वाहन (आर.सी.आर.आई.वी.)*
रेल-सह-रोड निरीक्षण वाहन (आर.सी.आर.आई.वी.) को टाटा योद्धा मॉडल से संशोधित किया गया है, जिसमें पीछे की तरफ दो लोहे के पहिये (750 मिमी. व्यास) तथा आगे की तरफ दो लोहे के पहिये (250 मिमी. व्यास) हैं। इसके अतिरिक्त, इसमें 3 कैमरे हैं जो ट्रैक को रिकॉर्ड करेंगे, जिसका रिकॉर्डिंग बैकअप लगभग 15 दिनों का होगा।
पुराने पुश ट्रॉली निरीक्षण के स्थान पर अधिकारियों द्वारा निरीक्षण करने के लिये रेल-सह-रोड निरीक्षण वाहन का निर्माण किया गया है। यह वाहन रेल एवं सड़क दोनों पर स्व-चालित है। यह भारतीय रेल पर प्रचलित परिस्थितियों में दिन या रात के दौरान विद्युतीकृत/गैर-विद्युतीकृत खंडों पर सुरक्षित यात्रा करने में सक्षम है।
इसे पुश ट्रॉली ऑपरेटरों, ट्रैकमैन, रेल पथ निरीक्षक (पी.डब्ल्यू.आई.), सहायक इंजीनियर (ए.ई.एन.) एवं अन्य अधिकारियों को सम्मिलित करके विकसित किया गया था। आर.एस.पी. 2024-25 में 2000 आर.सी.आर.आई.वी. स्वीकृत किये गये हैं।
रेल मंत्री ने वाहन का निरीक्षण किया और कहा कि इससे भारतीय रेल में सुरक्षा में सुधार होगा साथ ही पुश ट्रॉली ऑपरेटरों एवं ट्रैकमैनों के जीवन में सुधार होगा।
वर्तमान में भारतीय रेल में 1684 ट्रैक मशीनें कार्य कर रही हैं, जो तेज, संरक्षित एवं सुरक्षित कार्य कर रही हैं।
मेसर्स प्लासर इंडिया का हाल ही में रेल मंत्री ने दौरा किया। प्लासर इंडिया माननीय प्रधानमंत्री की प्रमुख पहल ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में कार्य कर रहा है। प्लासर इंडिया अपनी बढ़ी हुई इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षमताओं के साथ, भारत के लोगों को रोजगार एवं कौशल विकास प्रदान करने के साथ-साथ एक बड़े भारतीय आपूर्तिकर्ता आधार के साथ काम करके अपने उत्पादन में स्वदेशी सामग्री बढ़ा रहा है।
प्लासर इंडिया ने भारतीय एवं वैश्विक बाजार की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये वर्ष 2019 में कर्जन, गुजरात में एक नया विनिर्माण संयंत्र स्थापित किया है। कर्जन में नवीनतम सेटअप के साथ, प्लासर इंडिया पहले ही संयुक्त राष्ट्र अमेरिका (यू.एस.ए.), कनाडा, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, घाना, मिस्र, मॉरीशस, इंडोनेशिया, अल्जीरिया, म्यांमार, पोलैंड, अर्जेंटीना, जापान, नाइजीरिया तथा कई अन्य देशों को निर्यात करना शुरू कर दिया है।