गोरखपुर, 20 सितम्बर, 2024: महाप्रबन्धक सुश्री सौम्या माथुर के मुख्य आतिथ्य में रेलवे प्रेक्षागृह,गोरखपुर में 20 सितम्बर,2024 को राजभाषा सप्ताह के अन्तिम दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसका शुभारम्भ महाप्रबन्धक सुश्री माथुर ने दीप प्रज्ज्वलित कर एवं माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया। इस अवसर पर अपर महाप्रबन्धक श्री डी.के.सिंह, प्रमुख विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ अधिकारी, कर्मचारी एवं काव्यप्रेमी उपस्थित थे।
मंचासीन कवियों का स्वागत करते हुये महाप्रबन्धक सुश्री सौम्या माथुर ने कहा कि राजभाषा विभाग द्वारा राजभाषा सप्ताह समारोह के दौरान विविध कार्यक्रम आयोजित किये गये। यह कवि सम्मेलन उसी की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। पूर्वोत्तर रेलवे सदैव से राजभाषा के प्रयोग-प्रसार की दिशा में उल्लेखनीय भूमिका निभाता रहा है। यह रेलवे सम्पूर्ण भारतीय रेल में राजभाषा प्रयोग के क्षेत्र में अग्रणी है। भारतीय संस्कृति और संविधान के अनुच्छेद 351 का समादर करते हुये हम रेल के प्रत्येक कार्य क्षेत्र में राजभाषा के प्रचार-प्रसार के लिये निरन्तर सजग हैं।
सुश्री माथुर ने कहा कि पूर्वांचल की धरती कई महान साहित्यकारों की कर्मभूमि रही है। गोरखपुर से कलम के धनी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समय और समाज का सशक्त पथ-प्रदर्शन किया है। हम जानते हैं कि कविता न केवल सुखद आनन्द की अनुभूति कराती है बल्कि जीवन में एक नई उमंग एवं जोश भर देती है। कवितायें जनमानस के लिये संजीवनी का कार्य करती हैं। कविताओं ने देश की आजादी में भी अपनी अहम् भूमिका निभाई है। इस कवि सम्मेलन में आमंत्रित कवि अपनी रचनाओं के माध्यम से हमें नई दिशा देंगे। यह कवि सम्ेलन साहित्यिक एवं मानसिक रूप से नई ताजगी प्रदान करेगा।
कवि सम्मेलन में सभी का स्वागत करते हुये मुख्य राजभाषा अधिकारी एवं प्रमुख मुख्य सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर श्री राजेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि 14 से 20 सितम्बर,2024 तक राजभाषा सप्ताह समारोह के दौरान अनके कार्यक्रम किये गये। राजभाषा सप्ताह समारोह की समापन कड़ी के रूप में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है। आज के इस कवि सम्मेलन में आमंत्रित कवियों का स्वागत है।
नई दिल्ली से पधारे कवि डा0 अरूण पाण्डेय ने कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुये ‘हिन्दी देश की है हिन्दी, हम सब बालक की माँ है हिन्दी‘ प्रस्तुत किया, जिसे सभी ने सराहा। गोरखपुर की डा0 चारूशिला सिंह की काव्य प्रस्तुति ‘अपने से और अपनों से दूर हो गये, शोहरत मिली जरा सी तो मगरूर हो गये। अपनी कृपा की डोर जो कुदरत ने खींच ली, जो नूर बांटते थे वो बेनूर हो गये।।‘ मऊ के कवि पंकज प्रखर ने जोशीली कविता ‘कुछ जयचन्दों और जाफरों से भारत शर्मिन्दा है। भूल न जाय इस धरती पर वीर हमीद अभी जिंदा है।।‘ से उपस्थित जनों को जोश से भर दिया। बलिया की श्रृंगार रस की कवयित्री प्रतिभा यादव की प्रस्तुति पलकों पे कोई ख्वाब सजा कर तो देखिये, दिल में किसी का प्यार बसा कर तो देखिये। जीने को जिंदगी का मजा आ ही जायेगा, दुश्मन को भी गले से लगा करके देखिये।।‘ पर लोग वाहवाह कर उठे। मेरठ से आये हास्य कवि डा0 प्रतीक गुप्ता की कविता ‘हर भाषा को पहचान मिले जरूरी तो नही, उचित आदर और सम्मान मिले जरूरी तो नही। हिन्दी दिवस पर बोल तो दिया करों, हिन्दी में बातें, हिन्दी को रोज सम्मान मिले जरूरी तो नही।। एवं अन्य रचनाओं पर श्रोताओं को हंसने पर मजबूर कर दिया। गोरखपुर के कवि प्रदीप मिश्र की कविता ‘कलम जब भी झुके लिखने तेरा अवधान हो जाय। झुका कर सर लिखूं कुछ भी वो स्तुति गान हो जाय‘ ने श्रोताओ को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया । व्यंग्यकार शैलेष त्रिपाठी ने समाज में फैली कुरीतियों, शिक्षा, नशाखोरी पर व्यंग्य करते हुये सुनाया ‘ मुहब्बत हमने भी की थी, मगर कुछ खास नहीं हुआ। ताजमहल हम भी बनवाना चाहते थे, मगर हमारा नक्शा पास नही हुआ।।
राजभाषा अधिकारी एवं वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी ने सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा वरिष्ठ अनुवादक/प्रभारी राजभाषा विभाग श्रीमती अनामिका सिंह ने कवि सम्मेलन का समन्वय किया।