कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली हार की वजह तलाशने में जुटी है. आज यानी गुरुवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर बैठक हुई, जिसमें राहुल गांधी भी शामिल हुए. सूत्रों के मुताबिक, इस दौरान राहुल ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा का नाम लिए बिना बड़ी बात कही. उन्होंने साफतौर पर कहा कि नेताओं ने पार्टी की जगह अपना हित देखा. इस बैठक में राहुल गांधी ने कहा, हरियाणा में नेताओ का इंटरेस्ट ऊपर रहा, पार्टी का इंटरेस्ट नीचे चला गया. राहुल गांधी ने बिना किसी नेता का नाम लिए ये बात कही. वहीं, कांग्रेस नेता अजय माकन ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा है कि नतीजों के बाद हमने समीक्षा बैठक की. सारे एग्जिट पोल हमको जिता रहे थे, हम जीत को लेकर आश्वस्त थे. हमने हार की समीक्षा की, ईवीएम से लेकर नेताओं में मतभेदों पर भी चर्चा हुई. आगे क्या करना है वो जल्दी सामने रखेंगे. खरगे के घर हुई बैठक में राहुल, केसी वेणुगोपाल, पर्यवेक्षक अजय माकन, अशोक गहलोत मौजूद रहे. भूपेंद्र हुड्डा और उदयभान का सूची में नाम था, लेकिन वो दोनों नहीं आए. ये साफ नहीं है कि उनको रोक दिया गया या खुद नहीं आए या फिर फोन पर ही उनसे जानकारी ली गई. कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को नहीं बुलाया गया था. पार्टी हार के कारणों का पता लगाने के लिए एक समिति बनाएगी. कमेटी ये पता करेगी कि उसे चुनाव में क्यों और कैसे हार मिली. समिति में कौन-कौन होगा, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है. कांग्रेस हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार बता रही है. पार्टी के नेता उदयभान ने कहा है कि ईवीएम हैक की गई है. पूरे प्रदेश को संदेह हो रहा है. मशीनों को सील करवाया जाएगा. दूध का दूध पानी का पानी होना चाहिए. भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा का नतीजा हैरान करने वाला है. हर आदमी देश में कह रहा था कि कांग्रेस सरकार बनाने वाली है, हम हर सर्वे में आगे थे, लेकिन जो नतीजे आए वो हैरान करते हैं. ईवीएम को लेकर कांग्रेस ने बुधवार को चुनाव आयोग को अवगत भी कराया था और जांच की मांग की थी. मुख्य विपक्षी दल के वरिष्ठ नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग से यह आग्रह भी किया था कि उन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को जांच पूरी होने तक सील करके सुरक्षित रखा जाए, जिनको लेकर सवाल उठे हैं. इसी साल जून में लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस के बीच हुई पहली बड़ी सीधी लड़ाई में सत्तारूढ़ पार्टी ने 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में 48 सीट पर जीत दर्ज की, जबकि 2019 में उसे 41 सीट मिली थी. कांग्रेस को 37 सीट पर संतोष करना पड़ा.
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