ePaper

हिंसा और आंतकवाद मानसिक विकृति और सनक

मानसिक विकृति के शिकार कुछ बंदूकधारियों द्वारा निरिह लोगों की हत्या कर अपना मकसद साध लेना ही आतंकवाद की श्रेणी में नहीं आता है,बल्कि शक्ति संपन्न राष्ट्रों द्वारा अपनी विस्तार वादी सामंती अवधारणा को पूरा करने के लिए छोटे देशों पर हमला करना भी आतंकवाद ही है ’ इसराइल-हमास, रूस-यूक्रेन युद्ध इसका ताजा उदाहरण है, अमेरिका की दादागिरी, चीन का पागलपन, उत्तर कोरिया की सनक इन सबके विभस्त उदाहरण है जो अपनी व्यवसायिक ,सामरिक और मानसिक सनक को पूरा करने के लिए किसी भी देश को नेस्तनाबूद कर नागरिकों पर कहर ढाकर उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं’ यह सब अंतर्राष्ट्रीय सामूहिक बलात आतंकवाद ही हैं’ भारत एक सशक्त और बलशाली देश होने के बावजूद शांति की नीति को अपनाए हुए है और वैश्विक शांति का संदेश भी देने का प्रयास कर रहा है ऐसे देशों को साधुवाद देना चाहिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महाबली राष्ट्रों की विस्तार वादी तथा सामंती गतिविधियों की सार्वजनिक निंदा भी की जानी चाहिए’

आतंकवाद एक मानसिक विकृति की विचारधारा है, जिसके द्वारा हिंसक कार्यों और गतिविधियों से जनमानस अशांति और भय की स्थापना करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति का प्रयास करना होता है। जिससे किसी भी क्षेत्र में आधिपत्य का अधिकार प्राप्त करने के लिए हिंसा और आतंक का सहारा लेकर जनमानस में अशांति का वातावरण निर्मित करने अपने मंसूबे पूरे कर आर्थिक सामाजिक और राजनैतिक विध्वंस का तांडव मचाना होता है। कुछ व्यक्तियों के समूह द्वारा संचालित मानव विरोधी गतिविधियां ही हैं जो कि समाज के विरुद्ध लूट, अपहरण, बम विस्फोट,हत्या जैसे जघन्य अपराधों को जन्म देती है। आतंकवाद मूलत: धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक परिवेश लिए हुए होता है। भारत में आतंकवाद धार्मिक और राजनीतिक ज्यादा परिलक्षित हुआ है। भारत में कश्मीर, लद्दाख, असम मैं विभिन्न अलगाववादी समूह द्वारा हिंसक अपराधिक कृत्य कर लोगों को भयभीत तथा पलायन करने पर मजबूर करने का कृत्य राजनीतिक आतंकवाद ही है। अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा ,जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से अपराध को अंजाम देते हैं। देश में नक्सलवाद ने छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, झारखंड ,बिहार और पश्चिम बंगाल में अपना मौत का परचम फेहरा के रखा है। नक्सलवाद मूलत: सामाजिक क्रांतिकारी समूह द्वारा सरकार के विरोध में आमजन तथा आदिवासियों के मध्य अपनी समानांतर सरकार चलाने हेतु हिंसक घटनाएं की हैं। यह आतंकवादी ग्रुप हिंसा के द्वारा अलग अलग तरीके से आतंकवाद फैलाने का प्रयास करते हैं ,यह ज्यादातर भीड़भाड़ वाले इलाकों में जैसे रेलवे स्टेशन बस स्टैंड रेल रेल पटरियों वायुयानो का अपहरण निर्दोष लोगों को बंदी बनाना बैंक में डकैतियां कर समाज में अराजकता तथा वैमनस्यता फैलाने का काम करते हैं। भारत में नक्सलवाद तो मूल रूप से पश्चिम बंगाल के नक्सल वाली क्षेत्र से पनपा है, जो पूरे भारत में धीरे-धीरे फैल कर हिंसक रूप अपनाए हुए हैं। आतंकवाद केवल भारत में न होकर उसका साम्राज्य वैश्विक स्तर पर भी दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से फैला हुआ है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद कहीं रंगभेद, कहीं भाषा विभेद, कहीं राजनीतिक विचारधाराओं में विरोध और कहीं रंगभेद के कारण ,नस्ली समस्या आतंकवाद का कारण बनी है। यह समस्याएं हथियारों से सुलझाने के प्रयास में अत्यंत हिंसक बन गई हैं।

आतंकवाद को वृहद रूप देने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने भी बड़ा साथ दिया है, आतंकवादियों, नक्सलवादियों और नस्ल वादियों के लिए रसायनिक, नाभिकीय, जैविक मानव बम जैसे आधुनिक हथियार उपलब्ध होने से यह आतंकवादी गतिविधियां और भी खतरनाक हो गई है। इसके अलावा मीडिया में इंटरनेट उपलब्धता से यह सारी सरकारी गतिविधियों की जानकारी प्राप्त हो जाती है इससे आतंकवादी और ज्यादा खतरनाक साबित हो रहे हैं। विश्व में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर 11 सितंबर 2001 आतंकवादी हमला मानव इतिहास की सबसे क्रूर तम हमला माना जाता है। पाकिस्तान के पेशावर जिले में आर्मी स्कूल में 150 मासूम बच्चों की निर्मम हत्या भी एक क्रूर आतंकवादी घटना है’ भारत में 1993 में मार्च में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट इसी तरह दिसंबर 2001 में संसद भवन पर हमलावाराणसी बम विस्फोट, अहमदाबाद में बम विस्फोट, 2008 में मुंबई ताज होटल पर हमला,2016 में पठानकोट एयरबेस हमला, 2017 में अमरनाथ तीर्थयात्रियों हमला, 2019 में पुलवामा हमला आतंकवादी घटनाएं हैं आतंकवाद का सबसे भयानक रूप यह है की कोई भी देश यह नहीं जानता कि आतंकवाद का अगला निशाना कौन सा देश और कौन सी इमारत, रेलवे स्टेशन, वायुयान और कौन सा धार्मिक स्थल होगा’ वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ असुरक्षा की भावना पूरी तरह व्याप्त हो चुकी है’ आतंकवाद का सबसे विस्तृत और भयानक रूप अफगानिस्तान में सरकार का तख्तापलट का ही है’ वहां तालिबानी आतंकवादियों द्वारा सरकार को गिरा कर अफगानिस्तान देश पर जाकर वहां शासन स्थापित कर लिया था, और पूरी दुनिया तमाशबीन बनी रही। रूस यूक्रेन युद्ध मैं भी लाखों लोगों की आक्रमण कर हिंसक हत्या तानाशाही तथा मानसिक आतंकवाद का ही एक भयानक रूप है। पूरे विश्व में आतंकवाद के खिलाफ भारत सहित अनेक कानून बनाए गए एवं उन पर अमल भी किया जा रहा है। अशांति की इस विचारधारा में जन समुदाय में रोश तथा खौफ पैदा कर दिया है और यह मानवता के लिए अभिशाप की तरह व्याप्त हो गया है। जिससे विश्वव्यापी वैश्विक शांति की अवधारणा को नष्ट कर दिया है। वैसे तो पूरे विश्व में आतंकवाद के खिलाफ प्रयास किए जा रहे हैं पर हर देश के हर नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि इस विचारधारा और इनकी गतिविधियों पर नजर रख इसे समूल नष्ट करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

Instagram
WhatsApp