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रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प कर विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है: रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव

‘‘देश भर में 1300 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प कर विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश के 156 स्टेशन सम्मिलित हैं। इसी कड़ी में माननीय प्रधानमंत्री जी ने गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखी थी, इसका कार्य तेजी से करने के लिये एजेंसी फाइनल कर ली गई है। नये वर्ष में इसका कार्य शुरू हो जायेगा। यह रेलवे स्टेशन सांस्कृतिक विरासत और मॉडर्न वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना होगा, जिसमें यात्रियों के लिये वर्ल्ड लेवल सुविधायें होंगी।‘‘ – रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव

गोरखपुर, 02 जनवरी, 2024: रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने अपने 29 दिसम्बर, 2023 को गोरखपुर, बस्ती एवं अयोध्या दौरे के दौरान विचार व्यक्त करते हुये कहा कि ‘‘देश भर में 1300 रेलवे स्टेशनों का कायाकल्प कर विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है, जिसमें उत्तर प्रदेश के 156 स्टेशन सम्मिलित हैं। इसी कड़ी में माननीय प्रधानमंत्री जी ने गोरखपुर रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास की आधारशिला रखी थी, इसका कार्य तेजी से करने के लिये एजेंसी फाइनल कर ली गई है। नये वर्ष में इसका कार्य शुरू हो जायेगा। यह रेलवे स्टेशन सांस्कृतिक विरासत और मॉडर्न वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना होगा, जिसमें यात्रियों के लिये वर्ल्ड लेवल सुविधायें होंगी।

 

पूर्वाेत्तर रेलवे यात्री प्रधान रेलवे है, जो अपने उपभोक्ताओं की उन्नत यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने के लिये सतत प्रयत्नशील है। इसके लिये आधारभूत संरचना को सुदृढ़ एवं सुविकसित किया जा रहा है। इसी क्रम में गोरखपुर जं. स्टेशन को भी पुनर्विकसित किया जा रहा है और इसे वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाया जायेगा। ज्ञातव्य है कि 07 जुलाई, 2023 को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने गोरखपुर जं. स्टेशन के पुनर्विकास का शिलान्यास रखा था। गोरखपुर जं. स्टेशन का नया डिजाइन एप्रूव एवं डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डी.पी.आर.) भी तैयार हो गया है तथा इस स्टेशन के पुनर्विकास की लागत 498 करोड़ रूपये है। गोरखपुर जं. स्टेशन का पुनर्विकास आगामी 50 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया जायेगा। उस समय गोरखपुर जं. स्टेशन पर यात्री आवागमन लगभग 1,68,000 प्रति दिन होगा।

15 जनवरी, 1885 को सोनपुर से मनकापुर तक मीटर गेज रेल लाइन के निर्माण के साथ ही गोरखपुर रेलवे स्टेशन अस्तित्व में आया। वर्ष 1886 में गोरखपुर से उस्का बाजार लाइन के निर्माण के साथ ही गोरखपुर जं. स्टेशन बना। वर्ष 1981 में छपरा से मल्हौर तक का आमान परिवर्तन पूर्ण हुआ और गोरखपुर जं. बड़ी लाइन के माध्यम से देश के अन्य महानगरों से जुड़ा। वर्ष 2004 में यहाँ दोहरीकरण का कार्य सम्पन्न हुआ। समय के साथ गोरखपुर जं. स्टेशन पर गाड़ियों एवं प्लेटफॉर्मों की संख्या में वृद्धि हुई और स्टेशन के यार्ड रिमॉडलिंग का कार्य अपरिहार्य हो गया। गोरखपुर जं. स्टेशन के यार्ड रिमॉडलिंग के साथ गोरखपुर जं. स्टेशन का प्लेटफॉर्म विश्व का सबसे लम्बा प्लेटफॉर्म बना था। वर्तमान में गोरखपुर जं. स्टेशन पर कुल 10 प्लेटफॉर्म हैं।

यह स्टेशन गोरखपुर जनपद की लगभग 44.5 लाख की आबादी सहित निकटवर्ती जनपदों एवं नेपाल क्षेत्र के लोगों को भी अपनी सेवायें दे रहा है तथा प्रतिदिन लगभग 93,000 यात्रियों का आवागमन होता है। इस स्टेशन से प्रतिदिन 91 जोड़ी यात्री ट्रेनें सभी प्रमुख महानगरों एवं नगरों के लिये चलाई जाती हैं।
स्टेशन पुनर्विकास के प्रस्तावित मॉडल की प्रमुख विशेषतायें

गोरखपुर जं. स्टेशन के पुनर्विकास मॉडल में स्थानीय सांस्कृतिक विरासत एवं वास्तुकला को समाहित किया गया है। अतएव गोरखपुर जं. स्टेशन के डिजाइन में स्थानीय संस्कृति की झलक दिख रही है। स्टेशन को सिटी सेन्टर के रूप में विकसित किया जायेगा। वर्तमान में मुख्य स्टेशन भवन का निर्माण 5,855 वर्ग मीटर एवं द्वितीय प्रवेश द्वार का निर्माण 720 वर्ग मीटर में किया गया है। प्रस्तावित स्टेशन का निर्माण 17,900 वर्ग मीटर एवं द्वितीय प्रवेश द्वार का निर्माण 7,400 वर्ग मीटर में किया जायेगा। 10,800 वर्ग मीटर में रूफ प्लाजा, जहाँ फूड आउटलेट, वेटिंग हॉल, ए.टी.एम. एवं किड्स प्ले एरिया का प्रावधान किया जायेगा। रूफ प्लाजा से प्लेटफॉर्मों तथा प्रवेश एवं निकास द्वार को 38 लिफ्ट, 22 एस्केलेटर एवं दो ट्रैवेलेटर के माध्यम से कनेक्ट किया जायेगा। 300 वर्ग मीटर में टिकट खिड़कियाँ बनाई जायेंगी। स्टेशन परिसर में कांजेशन फ्री प्रवेश एवं निकास का प्रावधान किया जायेगा। दो मल्टी परपज वाणिज्यिक टॉवर बनाये जायेंगे, जिसमें मल्टी लेवल कार पार्किंग, बजट होटल, कामर्शियल शॉप इत्यादि का प्रावधान होगा। प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन एवं बस स्टेशन से स्काई वॉक-वे से लिंक किया जायेगा। कार, टू व्हीलर्स, थ्री व्हीलर्स की पार्किंग क्षमता 427 ई.सी.एस. है, जबकि प्रस्तावित पार्किंग क्षमता 838 ई.सी.एस. है। दोनों प्रवेश द्वार के सर्कुलेटिंग क्षेत्र में हरित पट्टी (ग्रीन बेल्ट) विकसित की जायेगी।

प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप कार्य के लिये डी.पी.आर. तैयार कर ली गई है। निश्चित तौर पर ये स्टेशन जब पुनर्विकसित होगा तो यहाँ विकास और विरासत का एक अद्भुत संगम देखने को मिलेगा, साथ ही यहाँ आने वाले पर्यटक और यात्रियों को एक वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन मिलेगा जो उनकी यात्रा को और भी ज्यादा सुगम एवं यादगार बनायेगा।

 

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