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रांची के ऐतिहासिक जामा मस्जिद में खत्म ए तरावीह में शामिल हुए डीआईजी कार्मिक नौशाद आलम

जमीयतुल कुरैश पंचायत समाज में बेहतर काम कर रही है: नौशाद आलम

रांची। रांची शहर के सबसे पुरानी और ऐतिहासिक मस्जिदों में से एक जामा मस्जिद कांटा टोली कुरैशी मुहल्ला में बरसों से चली आ रही परंपरा के तहत इस साल भी माहे रमजान के मुबारक महीने के 27वीं रमजानुल मुबारक के दिन खत्म ए तरावीह के मौके पर जलसा आयोजित किया गया। इस मौके पर जमीयतुल कुरैश पंचायत कांटाटोली कुरैशी मुहल्ला के अंतर्गत संचालित जामा मस्जिद कुरैशी मुहल्ला में खत्म ए तरावीह के मौके पर डीआईजी कार्मिक झारखंड नौशाद आलम भी उपस्थित हुए । उन्होंने मौके पर इशा और तरावीह की नमाज इसी मस्जिद में अदा किया। तरावीह की नमाज के बाद बरसों पुरानी एतिहासिक परंपरा के तहत जमीयतुल कुरैश पंचायत कांटा टोली के माध्यम से नजराना की राशि इमाम,व मुअज्जिन ,नायब मुअज्जिन के बीच पेश किया गया। आवाम के ताउन से करीब एक लाख उन्नासी हजार राशि एकत्रित किया गया। जिसमें जामा मस्जिद कुरैशी मुहल्ला में तरावीह की नमाज पढ़ाते चले आ रहे हाफ़िज़ कैसर को एक लाख एकावन सौ रुपए मात्र नजराना डीआईजी कार्मिक नौशाद आलम के हाथों पेश किया गया, जामा मस्जिद के इमाम ओ खतिब मंजूर हसन बरकाती को झारखंड प्रदेश जमीयतुल कुरैश के प्रदेश अध्यक्ष मुजीब कुरैशी के हाथों करीब छत्तीस हजार रुपए नजराना के तौर पर दिया गया। मुअज्जिन हाफिज शाहीद रज़ा को जमीयतुल कुरैश पंचायत कांटा टोली के सदर गुलाम गौस कुरैशी ने छब्बीस हजार और नायब मुअज्जिन महबूब मियां को जमीयतुल कुरैश पंचायत के पूर्व सदर फिरोज कुरैशी के हाथों बारह हजार रुपए नजराना पेश किया गया। इस मौके पर सभी को वस्त्र भी दिया गया। इनके अलावा मस्जिद में इतेकाफ पर बैठे सभी साथी गण को शाफा ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

डीआईजी नौशाद ने कहा:

डीआईजी कार्मिक नौशाद आलम ने जामा मस्जिद कुरैशी मुहल्ला में खचाखच भीड़ को संबोधित करते हुए अपने तकरीर में कहा कि जमीयतुल कुरैश पंचायत बहुत पुरानी और सामाजिक संस्थान है और इनका अपना एक इतिहास है । सामूहिकता में एकता और इसी में ताकत है और यह काम जमीयतुल कुरैश पंचायत बाखूबी करती चली आ रही है। मैं जहां कहीं भी कार्यक्रम में जाता हूं तो जमीयतुल कुरैश पंचायत की तारीफ हर जगह सुनने को मिलती है। ऐसे समाज में शामिल होने में मुझे फक्र महसूस होता है। इतना ही नहीं डीआईजी ने कहा हम सभी अदम और हव्वा के संतान हैं कुरान में इसका जिक्र है, वहीं आदमी हव्वा का जिक्र बाइबल में एडम और इवी‌ के रुप में हुआ है और मनुस्मृति में स्वायंभुव मनु और प्रथम स्त्री थी शतरूपा के रूप में जाना जाता है,कहने का अर्थ यही है हम-सब का मालिक एक है और सबको मिलजुलकर रहना चाहिए। किसी के बहकावे में आने से समाज को नुक्सान होता है। वहीं हाफ़िज़ कैसर और हाफिज आशिक ने अपनी दिलकश आवाज से नात शरीफ पढ़कर सबको झूमने पर मजबूर कर दिया। मंजूर हसन बरकाती ने भी कम समय में अपने जज्बात भरे तकरीर से लोगों का बांधे रखा। मंच संचालन जमीयतुल कुरैश पंचायत कांटाटोली के सरपरस्त नौशाद कुरैशी ने किया। सहयोगी सदस्यों में आफताब कुरैशी, सोनू कुरैशी, जमीयतुल कुरैश पंचायत के महासचिव परवेज़ कुरैशी, उपाध्यक्ष अफरोज लड्डन कुरैशी , बब्लू कुरैशी, मुस्तफा कुरैशी, बारिक, हाजी अजीम कुरैशी, युनूस कुरैशी, हाजी मिन्हाज , साजिद,गुलाम रसूल कुरैशी, नौशाद खान, फिरोज खान, जुल्फी कुरैशी, आमिर कुरैशी, तजमुल कुरैशी, खलील कुरैशी, बशीर कुरैशी, जाबिर कुरैशी, मुनाज कुरैशी,कौशर कुरैशी,हकीम , गफ्फार खान, मुन्ना कुरैशी, फरहाद कुरैशी, आशिक कुरैशी, आमिल, कामिल, सदाम मिट्ठू एवं कुरैशी मुहल्ला, इदरीश कालोनी , गढ़ा टोली,राजा कालोनी, सुल्तान लेन सहित विभिन्न मुहल्लों के सैकड़ों लोग शामिल हुए।

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