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महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और तीन बार विधायक रहे वरिष्ठ कांग्रेस नेता बाबा सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

कांग्रेस को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र  में बड़ा झटका लगा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी ने गुरुवार को इस्तीफा दे दिया। तीन बार विधायक रहे बाबा सिद्दीकी ने 48 साल कांग्रेस से जुड़े रहने के बाद  पार्टी का साथ छोड़ा है। उन्होंने अपने राजनीतिक सफर को शानदार बताया है। सिद्दीकी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा कि मैं कांग्रेस में तब शामिल हुआ था जब किशोर था और यह एक शानदार यात्रा रही। आज मैं कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं। बहुत कुछ है जो मैं कहना चाहता हूं लेकिन कुछ चीजें न कहना ही बेहतर रहता है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जो इस सफर में मेरे साथ रहे। बता दें कि कुछ दिन पहले ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं ने कहा था कि बाबा सिद्दीकी जल्द ही पार्टी के महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट में शामिल हो सकते हैं। इन अटकलों की शुरुआत तब हुई थी जब 1 फरवरी को बाबा सिद्दीकी और उनके बेटे जीशान एनसीपी के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात करने पहुंचे थे। बाबा सिद्दीकी बांद्रा वेस्ट से 3 बार विधायक रहे हैं। इसके अलावा वह महाराष्ट्र में खाद्य एवं नागरिक विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं। बाबा सिद्दीकी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र नेता के तौर पर की थी। वह बृहन्मुंबई कॉरपोरेशन (बीएमसी) के कॉरपोरेटर चुने गए थे। सिद्दीकी ने बांद्रा वेस्ट से विधानसभा चुनाव पहली बार साल 1999 में लड़ा था। इसके बाद 2004 और 2009 के चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की थी। लेकिन,2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के आशीष शेलार के सामने हार का सामना करना पड़ा था। इस्तीफा देने से पहले वह मुंबई क्षेत्रीय कांग्रेस समिति के चेयरपर्सन और महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस समिति के संसदीय बोर्ड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट की भूमिका संभाल रहे थे। बता दें कि बाबा सिद्दी का निकाह शहजीन सिद्दीकी के साथ हुआ था। दोनों के एक बेटी जॉ. अर्शिया सिद्दीकी और एक बेटा जीशान सिद्दीकी है। साल 1977 में बाबा सिद्दीकी कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे। नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के मुंबई चैप्टर का सदस्य रहते हुए उन्होंने कई छात्र आंदोलनों में हिस्सा लिया था। इसके बाद वह साल 1980 में बांद्रा यूथ कांग्रेस के बांद्रा तालुका के जनरल सेक्रेटरी बने थे। साल 1988 में बाबा सिद्दीकी को मुंबई यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके चार साल बाद उन्हें मुंबई म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के काउंसिलर चुना गया था। साल 20911 में उन्होंने बांद्रा-खार में ईको-गार्डन के निर्माण के लिए फंडिंग दी थी। लोकसभा चुनाव से ऐन पहले एक वरिष्ठ नेता के पार्टी छोड़ देने को कांग्रेस पार्टी के लिए काफी बड़ा झटका माना जा रहा है।

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