लखनऊ, 26 नवम्बर
अयोध्या में भगवान श्री राम की जन्म भूमि की रक्षा के लिए साधु संतों व हिंदू राजाओं ने अनेकों बार संघर्ष किया। राम मंदिर की रक्षा के लिए मुगलों से पहला संघर्ष भीटी के महाराजा महताब सिंह ने किया था। महाराजा महताब सिंह ने 80 हज़ार की सेना के साथ मीर बांकी की पौने दो लाख सेना से मुकाबला किया था। इसका उल्लेख फैजाबाद जिला गजेटियर में भी मिलता है। भीटी रियासत आज के अंबेडकर नगर जिला में गोसाईगंज के पास स्थित है। भीटी के नाम से थाना और तहसील भी है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक रहे प्रताप नारायण मिश्र ने अपने एक लेख में लिखा है कि राजा महताब अपनी छोटी सी टोली के साथ बद्रीनाथ की यात्रा पर निकले थे। अयोध्या में मीर बांकी के हमले का समाचार उन्हें रास्ते में मिला। अयोध्या पर हमले का समाचार सुनकर महाराज महताब सिंह आग बबूला हो गए। उनके नेत्र लाल हो गए। राजा ने कहा राम तो बद्री विशाल की ही प्रतिमूर्ति हैं। उन्होंने अपनी बद्रीनाथ की यात्रा को स्थगित कर दिया और राम मंदिर की ओर रुख किया। चारों दिशाओं में संदेश भिजवाए गए और जल्द से जल्द अयोध्या पहुंचने का आह्वान किया। महाराजा महताब सिंह के अयोध्या पहुंचते – पहुंचते उनके नेतृत्व में 80 हजार की हिन्दू सेना तैयार हो गई। 17 दिनों तक संग्राम चलता रहा। महाराजा महताब सिंह ने मुगलों के छक्के छुड़ा दिए। बाबर के सेनापति मीर बांकी की सेना पौने दो लाख थी। उनकी तीन चौथाई से अधिक सेना काट डाली गई थी। मुगल सेना की अपार क्षति हुई। अंततः महाराजा महताब सिंह राम मंदिर की रक्षा करते-करते बलिदान हो गए। उसके बाद तो बलिदान की होड़ सी लग गई। इस संघर्ष में लाशों का अंबार लग जाने के बाद ही मीर बांकी मंदिर को तोप से गिरा सका।
भीटी निवासी महापुरुष स्मृति समारोह समिति के अध्यक्ष भारत सिंह ने हिंदुस्थान समाचार को बताया कि राम मंदिर की रक्षा के लिए मुगलों से प्रतिरोध का हिंदुओं का यह पहला संघर्ष था। उन्होंने बताया कि महाराज महताब सिंह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। अयोध्या के आसपास की रियासतों से उनके मधुर संबंध थे। यही कारण रहा कि उनका संदेश पाते ही 80 हज़ार की सेना अयोध्या पहुंच गई। भीटी रियासत के चिन्ह आज भी मौजूद हैं।