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मध्यम कद के शहरों का स्मार्ट सिटी में परिवर्तन

बड़े विदेशी शहरों के अनुरूप भारत में भी ऐसे बड़े शहरों की जरूरत महसूस हो रही है,जहां के निवासियों की सभी जरूरतों को त्वरित व तेजी से पूरा किया जा सके। ऐसे शहरों को स्मार्ट सिटी का नाम दिया जा रहा है’ जिस शहर में सभी गुणवत्ता पूर्ण आम लोगों को सुविधाएं कम सेवा मूल्य पर और आसानी से उपलब्ध हो सके। जहां लोगों के जीवन यापन के तरीके इतने सुलभ व संतुलित हो की धूल प्रदूषण से मुक्त सड़कें ,पानी, बिजली आसानी से उपलब्ध हो सके’ और वहां पर घर पहुंच घर में बैठे-बैठे इंटरनेट और सोशल मीडिया पर क्षण भर में सभी प्रशासनिक सुविधाएं उपलब्ध हो सके।, आम नागरिक जन सुविधाओं से स्वतंत्रता के बाद अब तक जूझ रहा हैं, तो उसका त्वरित निराकरण संचार माध्यमों से हो सके। ऐसे स्मार्ट शहर की स्थापना किया जाना केंद्र सरकार का लक्ष्य बन गया है।

पर क्या भारत की जनसंख्या की विशालता को देखते हुए और भारत के मेट्रोपॉलिटन शहरों की संघनता और जनसंख्या को दृष्टिगत रख इन्हें स्मार्ट सिटी में बदला जा सकता है? यदि सरकार और आम नागरिकों का दृढ़ निश्चय संकल्प हो, और आपसी सहयोग तथा सामंजस्य बेहतर तरीके से हो जाए तो भारत में स्मार्ट सिटी की परिकल्पना यथार्थ रूप भी ले सकती है’ यदि दूसरे तरीके से और दूसरे नजरिए से इस तथ्य को देखा जाए तो स्मार्ट सिटी में पर्याप्त बिजली, पानी, भोजन, घर आदि की उपलब्धता के साथ-साथ स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, मनोरंजन, यातायात की सुविधाएं भी आसानी से प्राप्त हो जाएं और आरामदायक जीवन से संबंध सभी आर्थिक गतिविधियों का संचालन सुचारू रूप से चलता रहे। ऐसी स्मार्ट सिटी यदि भारत में बन जाती है, तो भारत से ज्यादा विकासवान दूसरा भी नहीं हो सकता है। तो ऐसे शहर की परिकल्पना केवल दृढ़ संकल्प और सार्थक मेहनत के प्रतिफल के रूप में ही की जा सकती है। देश के प्रधानमंत्री ने पूर्व स्वतंत्रता दिवस पर भारत में 100 से ज्यादा शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा भी की है। और इसके लिए उन्होंने 9 हजार करोड़ रुपयों का बजट का प्रावधान भी रखा है। वैसे तो प्रधानमंत्री के इस स्वप्निल विचारों को मूर्त रूप देने के लिए केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा एक पूरा मैनुअल जारी किया गया है। यह परियोजना आने वाले वर्षों में मूर्त रूप लेगी। देश के 40 लाख से अधिक आबादी वाले 9 शहरों,10 लाख से 40 लाख आबादी वाले 44 शहरों, 5 लाख से 10 लाख आबादी वाले 20 शहरों, सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों की राजधानियों के अंतर्गत आने वाले लगभग 37 शहर सहित पर्यटन व धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण 15 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने की योजना बनाई गई है।
नए प्रारूप में सर्वप्रथम केंद्रीय शासन द्वारा दिल्ली, गुड़गांव, फरीदाबाद, इलाहाबाद, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, देहरादून, हरिद्वार, बोधगया, भोपाल, इंदौर, कोच्चि, जयपुर और अजमेर को स्मार्ट सिटी के रूप में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है।भारत में स्मार्ट सिटी बनाने की इस नई परियोजना मैं विदेशी राष्ट्रों ने भी गहरी रुचि दिखाई है। जापान ने वाराणसी शहर को एक अच्छी विकसित सर्व सुविधा संपन्न स्मार्ट सिटी बनाने रुचि दिखाई है। कतर देश के प्रिंस शेख हमद बिन नासिर ने दिल्ली को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए 100 अरब रुपए की योजना बनाकर निवेश करने की इच्छा जताई है। नासिर जी ने अपने एक पार्टनर दिल्ली के नितेश शर्मा के साथ मिलकर देश में स्मार्ट शहरों की निर्माण हेतु एक लाख करोड़ रुपए निवेश करने का प्रावधान रखा है। सिंगापुर ने भी भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए सहयोग देने की बात कही है। उन्होंने चेन्नई बैंगलोर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के निकट एक लिटिल सिंगापुर विकसित करने की योजना बनाई है।भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी पर होने वाले खर्च हेतु पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल की को प्राथमिकता देने की योजना भी बनाई है।

पर स्मार्ट सिटी बनाते समय विशेष तौर पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत स्मार्ट सिटी में मांग प्रबंधन वित्तीय को ओपन ऊर्जा कुशलता सूचनाओं के आदान-प्रदान की समयानुकूल व्यवस्था के साथ न्यूनतम कचरा उत्पादन जैसी विशेषताओं का होना भी आवश्यक है। स्मार्ट सिटी में बाधा हीन कारोबार, गुणवत्ता परक जीवन के कारण तीव्र प्रति श्रद्धा की स्थिति मौजूद रहती है। ऐसे में जन सुरक्षा एवं नागरिक अधिकारों को भी साथ साथ जीवित रखना होगा। स्मार्ट शहरों को विध्वंसक कार्रवाई यों और चोरी डकैती आदि से बचाने के लिए सुरक्षा व्यवस्था के तहत सीसीटीवी की निगरानी में 24 घंटे रखा जाना होगा ।इसके साथ ही संतुलित जीवन के लिए पर्यावरण संतुलन भी अत्यंत आवश्यक होगा। देश में बड़ी संख्या में स्मार्ट सिटी स्थापित करने में निसंदेह भारत को विकसित देशों की ओर अग्रसर होने में बहुत मदद मिलेगी। देश में नए सिरे से रोजगार के अवसर भी खोजा जाएगा ।परंतु इस नई परियोजना को मूर्त रूप देने में कई विघ्न बाधाएं एवं चुनौतियां भी हैं। जनता निर्विवाद रूप से कठिनाइयों से निपटने के बाद ही सपनों के शहर को बस बसाना आसान होगा। इन प्रोजेक्ट को अमल में लाने के लिए शहरी तथा ग्रामीण कानूनों में भी परिवर्तन आवश्यक होगा। यदि देश का प्रत्येक नागरिक सरकार के अधीन प्रोजेक्ट में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सहयोग देकर अपना योगदान दें, तो निश्चय ही अगले दो दशकों में भारत में सैकड़ों स्मार्ट सिटी निर्मित हो सकेगी ।और आम नागरिकों को जन सुविधाओं के साथ भारत एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आ जाएगा।

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