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भारत के विकास के नए सोपान

मैं किसी भी राजनीतिक पार्टी का कभी हिमायती नहीं रहा पर वर्तमान परिपेक्ष्य में जो विश्व में भारत की स्थिति बनी है उसे अनदेखा भी नहीं किया जा सकता है। भारत के प्रधानमंत्री एक अंतर्राष्ट्रीय सर्वे के अनुसार 76% के साथ लोकप्रियता के शिखर पर हैं। विश्व के बाहुबली देश के बड़े-बड़े राष्ट्र प्रमुख जैसे जो बाइडेन, सी जिन पिंग, राष्ट्रपति पुतिन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कनाडा के जस्टिन टुद्रो इस लाइन में काफी पीछे हैं।

भारत में वर्तमान में अपनी वैश्विक छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर बनाया है। विदेशों में भारत की स्थिति में निरंतर सुधार हुआ है। इस समय बहुत बड़ा योगदान भारत के हर क्षेत्र के डिजिटलाइजेशन का ज्यादा रहा है। भारत में डिजिटलाइजेशन के नए आयामों को छुआ है और विश्व में इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका भी निभा रहा है। इसमें दो मत नहीं कि इसमें वर्तमान एवं पूर्व के प्रधानमंत्रियों को भी बड़ा योगदान रहा है। पिछले 9 वर्षों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विदेश नीति मैं खुलापन तथा विदेशी निवेशकों को भारत में आमंत्रित किया है उससे इसमें बड़े परिवर्तन की संभावनाओं इजाफा किया है। भारत विश्व का एकमात्र सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। कई वर्षों से ब्रिटिश उपनिवेश में रहने और स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात गरीबी, भुखमरी ,बेरोजगारी जैसे बड़े रुकावटी कारकों का से जिस तरह डटकर मुकाबला कर उस से निजात पाने का प्रयास किया है वह अत्यंत उल्लेखनीय है।स्वतंत्रता मिलने के पश्चात भारत में नियोजन की नीति अपनाई तथा वर्ष 1951 में प्रारंभ पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत सभी चुनौतियों का सामना करते हुए सराहनीय प्रगति की है। वर्ष 1951 से लेकर अब तक 12 पंचवर्षीय योजनाएं क्रियान्वित की जा चुकी है।

वर्ष 2015 में राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान की स्थापना की गई जो भारत को वैश्विक स्तर पर महाशक्ति बनाने की दिशा में सहयोग कर रहा है। वैश्विक स्तर पर भारत की खेती 1990 के पश्चात निरंतर बढ़ रही है इस दिशा में 1990 के दशक में भारत सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली उदारीकरण निजीकरण तथा वैश्वीकरण की नीति का महत्वपूर्ण योगदान भी माना जा रहा है। उक्त समय में भारत की दशा अत्यंत दयनीय थी इसके अतिरिक्त मुद्रास्फीति बेरोजगारी जैसी स्थित ने विकराल रूप धारण कर लिया था, किंतु विकास की नीति को अपनाने के पश्चात से भारत ने इन परिस्थितियों से निपटने के साथ ही आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया भारत ने अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं विशाल जनसंख्या के उपयोग कर विश्व पटल में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। भारत की विशाल जनसंख्या को आर्थिक सफलता के मजबूत स्तंभ कहा जा सकता है। भारत ने अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं विशाल जनसंख्या का उपयोग कर उत्पादन को कई गुना बढ़ाया है। आज की स्थिति में भारत को एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में देखा जा सकता है और इसे तथाकथित भावी विश्व शक्ति चीन का सबसे ताकतवर प्रतिनिधि तथा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का भावी सदस्य के रूप में भी देखा जा रहा है। भारत में समय के अनुसार अपनी नीतियों तथा विकास के प्रति मानको में परिवर्तन कर निरंतर आर्थिक विकास की दर को प्राप्त करते हुए अधिकांश विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की है।

वास्तव में वर्तमान समय में भारत के ऐतिहासिक बदलाव के दौर से गुजर रहा है, जिससे विश्व के सभी देश किसी न किसी रूप से जुड़कर प्रभावित भी हुए हैं। 1974 उल्लेखनीय रहा है क्योंकि भारत ने पोखरण में पहला परमाणु परीक्षण किया गया इसका विरोध विश्व के तमाम विकसित देशों ने बहुत जोरदार ढंग से किया भारत को काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा था। वर्ष 2008 में हमारे देश और अमेरिका रूस फ्रांस ब्रिटेन तथा चीन को छोड़कर पी5 के सभी सदस्य देशों के मध्य हुए असैन्य परमाणु समझौता से यह स्पष्ट हो गया था कि अब वैश्विक पटल पर भारत की अनदेखी नहीं की जा सकती है। 2009 में भारत के प्रधानमंत्री का अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपने कार्यालय में राजकीय अतिथि के रूप में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री का स्वागत करके कहा कि भारत अब एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बन चुका है।

यह भारत के छठे परमाणु संपन्न राष्ट्र के तौर पर मिली औपचारिक मान्यता ही थी। भारत यात्रा पर आए बराक ओबामा ने कहा कि भारत अब उभरती हुई परमाणु शक्ति ही नहीं है, वह स्थापित परमाणु शक्ति बन चुका है। भारत की जनसंख्या को देखते हुए भारत की क्रय शक्ति की क्षमता के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी दूरसंचार के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभरा है। भारत अब विश्व में एक महत्वपूर्ण वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित होने की ओर अग्रसर है। भारत में कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में अत्यधिक ख्याति प्राप्त की है, जिससे अमेरिकी विश्लेषकों के मन में भय पैदा हो गया है। भारतीय औद्योगिक घराने अंतर्राष्ट्रीय कारोबारी कंपनियों को खरीद कर दुनिया के सबसे बड़े कारोबारी समूह बन गए हैं। भारत लक्ष्मी मित्तल विश्व के सबसे बड़े स्टील उत्पादक है, मुकेश अंबानी का नाम विश्व के सर्वोच्च पांच धनी व्यक्तियों में लगातार प्रत्येक और शामिल होता रहा है।

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