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भारत का संविधान जम्मू कश्मीर के संविधान से ऊंचा”, बरकरार रहेगा 370 हटाने का फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अनुच्छेद 370 अस्थाई प्रवधान

जम्मू काश्मीर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाया जा रहा है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मामले में फैसला सुना रहे हैं। उन्होंने कहा कि, जम्मू काश्मीर के पास सार्वभौमिक अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थाई प्रवधान है। केंद्र सरकार के फैसले पर चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि, जम्मू काश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि जल्द से जल्द जम्मू और काश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई है।  चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमने उस दौरान राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन पर फैसला नहीं लिया है। स्थिति के अनुसार राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 में राष्ट्रपति को शक्तियां हासिल हैं। उसे चुनौती नहीं दी जा सकती है। संवैधानिक स्थिति यही है कि उनका उचित इस्तेमाल होना चाहिए। अनुच्छेद 356 – राज्य सरकार भंग कर राष्ट्रपति शासन लगाने की बात करता है। राष्ट्रपति शासन के दौरान केंद्र राज्य सरकार की जगह फैसले ले सकता है। संसद राज्य विधानसभा की जगह काम कर सकता है। चीफ जस्टिस ने कहा कि जब राजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय समझौते पर दस्तखत किए थे, तभी जम्म-कश्मीर की संप्रभुता खत्म हो गई। वह भारत के तहत हो गया। साफ है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर के संविधान से ऊंचा है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था है।चीफ जस्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा की सिफारिश के बाद ही 370 पर कोई आदेश जारी करें। अनुच्छेद 370 को बेअसर कर नई व्यवस्था से जम्मू-कश्मीर को बाकी भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया मजबूत हुई। उन्होंने कहा कि, राष्ट्रपति शासन में राज्य की जगह केंद्र सरकार फैसला ले सकता है। कोर्ट ने साफ किया है कि जम्मू और काश्मीर में भी विधानसभा चुनाव कराने होंगे। कोर्ट ने कहा है कि, 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराया जाए। कोर्ट ने कहा कि, नए परिसीमन पर जम्मू काश्मीर में चुनाव हो। पांच जजों की संविधान पीठ ने एकमत से फैसला सुनाया है।

 

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