पालघर: 1अगस्त:
फिल्म अभिनेत्री ज़ारा खान इनदिनों फिल्मों के साथ साथ समाजसेवा में भी बढ़चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। उन्होंने अब तक हिंदी, मराठी, तमिल और तेलुगु भाषाओं में फिल्में करने के साथ साथ समाज के निचले तबके के बच्चों के लिए समय समय पर कुछ ना कुछ मदद करने का अपना अभियान जारी रखा हुआ है । अभी हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र के पालघर जिले के श्रीमती सुरेखा गार्डी स्वजन विद्यालय खैरे अम्बिवली में लगभग 450 बच्चों के बीच बैग और शिक्षण से सम्बंधित मैटेरियल का वितरण किया । यह एक सरकारी विद्यालय है जहाँ ज़ारा खान ने स्कूल बैग और शिक्षण सामग्री का वितरण किया है । दरअसल में जारा खान ने अपना एक एनजीओ मॉम फाउंडेशन के नाम से चला रखा है। इसी मॉम फाउंडेशन के सहयोग से वे अपने समाज सेवा के कार्य को अंजाम देती हैं । वे इस मॉम फाउंडेशन के जरिये आदिवासी बच्चों , सरकारी और गैर सरकारी स्कूल के बच्चों और अनाथ बच्चों के सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
मूलतः मुम्बई की रहने वाली ज़ारा खान अपने कैरियर के साथ साथ समाज सेवा को भी उतना ही महत्व देती हैं और अपने कमाई का एक हिस्सा समाज से उपेक्षित बच्चों और गरीब बच्चों के ऊपर खर्च करती हैं। ज़ारा खान अब तक अपने मॉम फाउंडेशन के जरिये अभी तक सैकड़ो बचो को मुफ्त में पुस्तक ,बैग और भोजन फ्री में खिला चुकी हैं और अभी आगे भी ये सिलसिला निरन्तर जारी रहने वाला है । ज़ारा खान कहती हैं कि समाज सेवा करने के लिए करोड़पति होना जरूरी नहीं है, बस आपके मन में जज़्बा होना चाहिए, लोगों को लेकर संवेदनशील होना चाहिए। फिल्मो में अभिनय करने के साथ साथ 26 वर्षीय ज़ारा खान के मन में भी ऐसा ही जज़्बा बचपन से था। उन्होंने अपने आसपास की गरीबी देखा तो इनका शुरुआत से ही मानना था कि वे अपने कमाई का कुछ हिस्सा जरूर इन गरीबों की भलाई के लिए इस्तेमाल करेंगी । ज़ारा मुंबई के सरकारी और गैरसरकारी स्कूलों में गरीब और 450 आदिवासी अनाथ बचो को मुफ्त में बैग ,पुस्तक ,पेन ,और भोजन उपलब्द्ध कराती है।
ज़ारा खान अपने इसी मॉम फाउंडेशन के सहयोग से आगामी 12 अगस्त को मुम्बई के सुप्रसिद्ध कैंसर अस्पताल टाटा मेमोरियल के सौंजन्य से एक मुफ्त कैंसर जांच शिविर लगाने जा रही हैं जिनमें महिलाओं के स्तन कैंसर की मुफ्त में जांच भी की जाएगी और इस कैम्प में जिन महिलाओं के अंदर स्तन कैंसर की पुष्टि होगी उनका इलाज इसी मॉम फाउंडेशन के जरिये कराया भी जाएगा, जिसमें रोगी को एक रुपया भी खर्च करने की आवश्यकता नहीं होगी । ज़ारा खान के इस क्रांतिकारी कदम की चहुँओर प्रशंसा हो रही है । लोगों का मानना है कि ऐसा करना सबके बस की बात नहीं है लेकिन ज़ारा खान ने अपनी दृढ़इच्छाशक्ति के दम पर यह सम्भव कर दिखाया है।