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आज से शुरू हुई आम आदमी की यह ‘शाही ट्रेन’, जो वंदे भारत को देगी टक्कर

देश में आज ऐसी स्लीपर ट्रेन शुरू हुई है, जो कहने के लिए स्लीपर और जनरल श्रेणी की है, लेकिन वंदे भारत, शताब्दी और राजधानी सभी को मात दे सकती है. इसे आम आदमी की शाही ट्रेन कहा जाए, तो गलत नहीं होगा. यानी अब कम किराए में आम आदमी प्रीमियम और लग्जरी ट्रेनों जैसी सुविधाओं का आनंद ले सकते हैं. यहां बात की जा रही है अमृत भारत ट्रेन की, जिसको आज प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अयोध्या से झंडी दिखाकर रवाना किया है. फिलहाल आम लोगों के लिए नियमित रूप से चार जनवरी से दो ट्रेनें चलेंगी, इसमें एक  दिल्ली से अयोध्या होते हो दरभंगा जाएगी और दूसरी मालवा टाउन से बेंगलुरू के बीच चलेगी. ये ट्रेन तमाम खासियत समेटे हुए हैं. अब जनरल क्लास और स्लीपर के कोच में वो सुविधाएं मिलेंगी, जो अभी तक वंदे भारत और शताब्दी, राजधानी में मिलती रहीं हैं. अब जनरल क्लास के लोगों को भी गड्ढेदार सीट मिलेंगी. पहले इस क्‍लास की नीचे की सीट फट्टे की होती थीं और ऊपर वाली पाइप की होती थी. हालांकि इसे लगेज रखने के लिए बनाया गया था, लेकिन यात्री बैठते थे, जिसमें परेशानी होती थी. अब इस सीट को गद्देदार बना दिया गया है, जिससे लोग सुविधाजनक सफर कर सकें. इसी तरह पहली बार जनरल क्लास में मोबाइल चार्जर के लिए प्‍वाइंट दिए गए हैं. प्रत्‍येक कूपा में चार-चार पॉइंट दिए गए हैं. साथ ही चार्जिंग के दौरान मोबाइल रखने के लिए स्टैंड भी लगाए गए हैं जो अभी तक नहीं लगे हैं. इस श्रेणी में पहली बार पानी के बोतलों के टांगने के लिए स्‍टैंड लगाए गए हैं, यानी यात्री पानी की बोतल टांग ले, उसकी बोतल सीट के नीचे या इधर-उधर न पड़ी रहे. इस श्रेणी की एक और खासियत यह है कि जनरल क्लास में टॉयलेट के बाहर भी वॉश बेसिन लगाया गया है, जिससे लोग इसमें टॉयलट के अंदर जाने के बजाए बाहर हाथ धो सकें. खास बात है यह जो नल लगे हैं पैर से प्रेश करने से चलते हैं. यानी आपको नल को हाथ नहीं लगाना होगा. इस श्रेणी के टॉयलेट में पहली बार बायो वैक्यूम का इस्‍तेमाल किया गया है, अभी तक इस तरह के टॉयलेट वंदेभारत के अलावा शताब्दी और राजधानी में लगे होते थे. जिससे अब जनरल क्लास में सफर करने वालों को साफ सुथरे टॉयलेट मिले सकें. जनरल क्लास में पहली बार सुरक्षा को ध्यान रखते हुए कैमरे लगाए गए हैं, जिससे अप्रिय घटना होने पर कैमरों की मदद से अपराधियों की पहचान की जा सके. लोकोपायलट केबिन से कोच पर नजर रख सकेगा. ट्रेन चलते समय दो कोचों के बीच से गुजरने पर डर लगता है. ट्रेन बहुत हिलती थी. लेकिन अब दोनो के बीच सेमी फिक्‍स कपलिंग का इस्‍तेमाल किया गया है, जिससे दो कोचों के बीच का ज्‍वाइंट नहीं हिलेगा. इसके साथ ही इस ट्रेन के दरवाजे के विंडो के डिजाइन में बदलाव किया गया है. पहले शीशे के बाहर गिल लगी होती थी. लेकिन ग्रिल नहीं लगी. इसके अलावा शीशे की ऊंचाई भी बढ़ाई गयी है और इसे आसानी से खोला जा सकता है.

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