जमुई में शहीद प्रभात रंजन को बालू माफिया ने की हत्या।
शहीद प्रभात को वैशाली के पैतृक गांव में दी गई अंतिम विदाई ,
हाजीपुर वैशाली।नियोजित शिक्षक और रेलवे की नौकरी छोड़कर बने थे दारोगा, बालू माफिया के खिलाफ कार्रवाई में हुए शहीद, बिहार के जमुई में शहीद दारोगा प्रभात रंजन का पार्थिव शरीर वैशाली पहुंचा, जहां सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. प्रभात रंजन काफी होनहार थे. शिक्षक और रेलवे की नौकरी छोड़कर बिहार पुलिस की नौकरी की थी, लेकिन बालू माफिया के खिलाफ कार्रवाई में शहीद हो गए.
बिहार के जमुई में शहीद दरोगा प्रभात रंजन को वैशाली पैतृक गांव में अंतिम विदाई दी गई, जैसे ही पार्थिव शरीर वैशाली के भगवानपुर खजूजरी गांव पहुंचा लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी, लोगों में शोक की लहर दौड़ गई, बुधवार को पूरे सम्मान के साथ शहीद को अंतिम विदाई दी गई, मौके पर मौजूद स्थानीय विधायक ने सरकार से मुआवजे और अनुकंपा पर नौकरी की मांग की है,
वही शहीद प्रभात रंजन पातेपुर के बलीगांव थाना अंतर्गत भगवानपुर खजुरी गांव निवासी शिवनारायण साह के पुत्र थे, बताया जाता है कि दरोगा का पुरा परिवार संकट से जूझ रहे हैं, पत्नी और दोनों बच्चें उनकी मां और बड़े भाई का इलाज़ के लिए दिल्ली में रहते हैं, बड़े भाई मधुकांत किडनी रोग से ग्रस्त हैं, उनकी मां सीता देवी ने अपनी किडनी दान की लेकिन वह भी खराब हो गया, फिलहाल दिल्ली में इलाज़ चल रहा है, तीन माह पहले प्रभात रंजन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी, लेकिन वह भी बीमार चल रहा है,
इस घटना से वैशाली पुलिस भी काफ़ी मर्माहत है, जिस समय दरोगा के शहीद होने की ख़बर आई, घर कोई सदस्य नहीं थे, ग्रामीणों के बताने पर पुलिस ने शहीद के परिजनों को दिल्ली फ़ोन कर जानकारी दी, गांव के लाल प्रभात रंजन की शहादत की ख़बर से न केवल पैतृक गांव खजूरी बल्कि उनकी ससुराल टेकनारी गांव में गम है,
शहीद प्रभात रंजन पहले पंचायत नियोजित शिक्षक के रूप में अपना योगदान दिया था, शिक्षक के रूप में काम करने के दौरान ही रेलवे की ग्रुप डी में नौकरी मिली थी, रेलवे में नौकरी करते हुए 2018 में दरोगा भर्ती परीक्षा में सफ़लता हासिल की थी, जिसके बाद पहली पोस्टिंग उनकी सारण जिले में हुई थी, इसके बाद वहां से तबादला जमुई में हुई थी, 2018 में ही उनकी शादी पातेपुर के टेकनारी निवासी नंदकुमार शाह की पुत्री पूजा कुमारी से हुई थी, शहीद को 3 साल की पुत्री व तीन माह का पुत्र है, शहीद प्रभात रंजन दो भाई वह एक बहन में सबसे छोटे थे। प्रभात रंजन की शहीद होने के बाद पुरे ज़िले में शोक व्याप्त है।