पटना 18 दिसम्बर, 2024ः- माननीय राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ अंतर्गत ‘युवा संगम फेज-5’ कार्यक्रम के तहत बिहार आए कर्नाटक के छात्र-छात्राओं तथा कर्नाटक से लौटकर आए बिहार के छात्र-छात्राओं के साथ राजभवन के दरबार हॉल में संवाद किया। उन्होंने उनसे बिहार की समृद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत की चर्चा करते हुए कहा कि इस राज्य में आने पर मन में यहाँ की सुंदर छवि बनती है।
राज्यपाल ने कहा कि जब-जब भारत एक होता है, तब-तब भारत श्रेष्ठ होता है। हमारी आपसी एकता ही हमारे देश की शक्ति है। उन्होंने विद्यालयों में विद्यार्थियों द्वारा अपने देश के संबंध में प्रतिज्ञा (Pledge) लेने की चर्चा करते हुए कहा कि हम सभी भारतमाता की संतान हैं और यही हमारी एकता का सूत्र है जिसे सुदृढ़ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत के किसी एक राज्य के लोगों को तकलीफ होने अथवा उनपर विपत्ति आने पर दूसरे दूरस्थ राज्यों के लोगों को पीड़ा होती है। उत्तरकाशी सुरंग में फँसे सभी 41 मजदूरों के लिए पूरा देश चिंतित था और उनसे परिचित नहीं होने के बावजूद भी सभी देशवासी उनके सकुशल बाहर निकलने के लिए दुआएँ कर रहे थे तथा उनके बाहर आने पर सब ने खुशी जाहिर की। यह हमारे देशवासियों का एक-दूसरे के प्रति प्रेम और अपनापन की भावना तथा आपसी एकता का प्रतीक है जिसे बनाए रखने की आवश्यकता है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत के सभी राज्यों में अन्य प्रदेशों के लोग रहते हैं और धीरे-धीरे वहाँ की संस्कृति के साथ तादात्म्य स्थापित कर लेते हैं। बिहार में भी दूसरे राज्यों से आकर लोग रह रहे हैं और यहाँ की भाषा, बोली और संस्कृति को अपनाकर तथा अपने को बिहारी मानकर यहाँ काम कर रहे हैं। यही हमारी एकता का भाव है। उन्होंने कहा कि शंकराचार्य का देश के विभिन्न भागों में जाना एकता के हीं भाव को दर्शाता है। शंकराचार्य ने एकत्व की भावना को स्थापित करने के लिए ही भारत में चार पीठों की स्थापना की थी।
बिहार और कर्नाटक के छात्र-छात्राओं ने एक दूसरे राज्यों में प्रवास के अपने अनुभव साझा किये। राज्यपाल ने उनसे इन अनुभवों को अपनी स्मृतियों में संजोकर रखने को कहा, क्योंकि यह हमारी एकता का प्रतीक है।
इस अवसर पर कर्नाटक एवं बिहार के छात्र-छात्राओं के साथ फैकल्टी मेम्बर्स भी थे।