ePaper

स्वच्छ और स्वस्थ ग्रह के लिए सतत विकास” की थीम पर राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

किशनगंज  विश्व के सामने प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस 2 दिसंबर 1984 को भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गंवाने वालों की याद में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य प्रदूषित जल, भूमि और वायु के कारण होने वाली मौतों के बारे में जागरूकता लाना है।पर्यावरण प्रदूषण के नाम से भी जाना जाता है। हम प्रदूषण को पर्यावरण में किसी भी पदार्थ, चाहे ठोस, तरल, गैस, या ऊर्जा के किसी भी रूप जैसे गर्मी, ध्वनि आदि के शामिल होने के रूप में परिभाषित कर सकते हैं। इसी के लिए जागरूक करने के उद्देश से डीएम तुषार सिंगला के निदेशानुसार सदर अस्पताल प्रांगण में सिविल सर्जन, डॉ कौशल किशोर की अध्यक्षता एवं सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अनवर हुसैन की देखरेख में राष्टीय प्रदुषण नियंत्रण दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया | प्रदूषण के लिए विभिन्न कारक जिम्मेदार हैं जैसे पटाखे फोड़ना, कार्बन उत्सर्जन, बम विस्फोट, उद्योगों के माध्यम से गैसों का रिसाव आदि। आजकल प्रदूषण की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और यह संबंधित सरकार के साथ-साथ लोगों का भी कर्तव्य है। प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हमें प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विचार और योजनाएँ बनानी चाहिए। प्रदूषण कम करने के विभिन्न उपाय ठोस अपशिष्ट का उपचार एवं प्रबंधन कर प्रदूषण को कम किया जा सकता है। बायोकेमिकल अपशिष्ट की सुविधा से अपशिष्ट प्रदूषण के पुन: उपयोग को कम किया जा सकता है।इलेक्ट्रॉनिक कचरे के उपचार से प्रदूषण को कम किया जा सकता है। स्वच्छ विकास तंत्र परियोजना से शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण कम किया जा सकता है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है और यह केवल सरकार का कर्तव्य नहीं है, हमें भी इसमें भाग लेना चाहिए और पर्यावरण को स्वच्छ बनाना चाहिए और रोग मुक्त रहना चाहिए। स्वच्छ वातावरण लोगों को अपने कार्यों को बेहतर तरीके से करने और खुशी से जीवन जीने में मदद करता है। बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन पर्यावरण को रखता है स्वच्छ:  जिलाधिकारी, तुषार सिंगला ने बताया की राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाने का मुख्य कारण औद्योगिक आपदा को नियंत्रित करना और प्रदूषण के स्तर को कम करना है। प्रदूषण पर नियंत्रण और रोकथाम के लिए दुनिया भर में सरकारों द्वारा विभिन्न कानून बनाए गए हैं। मुख्य उद्देश्य लोगों को जागरूक करना और उन उद्योगों में जागरूकता फैलाना है जो जल, वायु, मिट्टी और शोर जैसे विभिन्न प्रदूषण का कारण बनते हैं और पर्यावरण और जाहिर तौर पर स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।  प्रदूषण के संबंध में लोगों को जानकारी देना भी जरूरी है ताकि एक बेहतर या स्वच्छ वातावरण बन सके। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार जैव चिकित्सा अपशिष्ट से होने वाले संभावित खतरों एवं उसके उचित प्रबंधन जैसे- अपशिष्टों का सेग्रिगेशन, कलेक्शन भंडारण, परिवहन एवं बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन जरूरी है। इसके सही तरीके से निपटान नहीं होने से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है। अगर इसका उचित प्रबंधन ना हो तो  मनुष्य के साथ साथ पशु- पक्षीयों को भी इससे खतरा है । इसलिए जैव चिकित्सा अपशिष्टों को उनके कलर-कोडिंग के अनुसार ही सेग्रिगेशन किया जाना चाहिए। हर अस्पताल में जैव और चिकित्सकीय कचरा उत्पन्न होता है। जो अन्य लोगों के लिए खतरे का सबब बन सकता है। इसे देखते हुए इस कचरे का उचित प्रकार निस्तारण कराने का प्रावधान भी है।

Instagram
WhatsApp