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रुपौली विधानसभा उपचुनाव आमने -सामने की लड़ाई में दांव पर नीतीश-तेजस्वी की साख, 10 जुलाई को वोटिंग

लोकसभा चुनावों के बाद 10 जुलाई को बिहार में फिर से विधानसभा उपचुनाव के लिए वोटिंग हो रही है. रुपौली के रण में कौन प्रत्याशी बाजी मरेगा उससे भी ज्यादा टेंशन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को है. दोनों की प्रतिष्ठा की लड़ाई रुपौली में हो रही है जहां जदयू और राजद के उम्मीदवारों की जीत-हार राज्य की सियासत में एक बड़ा संदेश देने का माध्यम बनेगा. राजद ने पांच बार की विधायक बीमा भारती को उम्मीदवार बनाया है जबकि नीतीश की पार्टी जदयू से कलाधर मंडल चुनाव मैदान में हैं. वहीं निर्दलीय किस्मत आजमा रहे पूर्व विधायक शंकर सिंह भी जोर आजमाइश में लगे हैं. चुनाव प्रचार का शोर थमने के बाद अब 10 जुलाई को मतदान है. उसके पहले पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने बीमा भारती के समर्थन का ऐलान कर बड़ा खेला कर दिया है.दरअसल, रूपौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव जेडीयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफे के बाद हो रहा है. जेडीयू ने कलाधर मंडल को टिकट दिया है, जबकि आरजेडी ने बीमा भारती पर भरोसा जताया है. ऐसे में पूर्णिया में लोकसभा की लड़ाई हार चुकी पांच बार की विधायक बीमा भारती अब फिर से रुपौली में लालटेन जलाकर  अपने सियासी अस्तित्व को बचाने में लगी है. इसके लिए बीमा ने उसी पप्पू यादव से मदद मांगी है जिनके खिलाफ कुछ दिनों पूर्व ही लोकसभा चुनाव में बीमा ने आक्रामक तेवर अपना रखा था. रुपौली विधानसभा में 307030 वोटर है। जिसमे सर्वाधिक 75222 मतदाता मंडल जाति से आते है । यही कारण है कि राजद ने पांच बार की विधायक बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है तो एनडीए समर्थित जदयू उम्मीदवार कलानंद मंडल हैं जो मंडल जाति से आते है। वहीं लोजपा के  टिकट पर एक बार विधायक रहे शंकर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी बनकर सभी को चुनौती दे रहे हैं। शंकर सिंह को एक ओर जहां सवर्ण जाति का समर्थन प्राप्त है। वहीं निर्दलीय होने के कारण और कई जाति का समर्थन उन्हें मिल रहा है। लिहाजा त्रिकोणात्मक संघर्ष रुपौली विधानसभा उपचुनाव में स्पष्ट नजर आ रहा है। जदयू उम्मीदवार कलाधर मंडल डबल इंजन की सरकार में हो रहे विकास कार्य और मंडल जाति को अपना वोट बैंक मान रहे हैं। साथ ही 25 वर्षों से चुनाव जीतती आ रही बीमा भारती से जनता नाखुश है ऐसा दावा है कलाधर मंडल का। एक तरफ बीमा भारती के पति का नाम बाहुबली में शुमार है और हाल के दिनों में हुई हत्या में उनकी संलिप्त को लेकर वारंट भी निकल चुका है। तो वही निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह भी बाहुबली में गिने जाते हैं। जबकि जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल पेशे से शिक्षक रहे हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाग्य आजमा चुके हैं। जदयू और राजद की टक्कर के बीच किस्मत आजमा रहे निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व विधायक शंकर सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव में रुपौली विधानसभा से NDA प्रत्याशी को लीड कराने में उनकी अहम भूमिका रही. इसके बाद भी जदयू ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दिया है जो मुखिया का चुनाव भी नहीं जीत पाए हैं. शंकर सिंह इस बार के चुनाव में अपने लिए बड़े समर्थन का दावा कर रहे हैं. ऐसे में राजद की बीमा भारती, जदयू के कलाधर मंडल और निर्दलीय शंकर सिंह रुपौली की लड़ाई में हैं. इन सबके बीच असली टेंशन एनडीए की है जिसे पूर्णिया लोकसभा में हार मिली थी. अब रुपौली में जदयू का तीर निशाने पर लगाकर सीएम नीतीश एनडीए के लिए नई उम्मीद देने की कोशिश में हैं.

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