सावित्री बाई फुले जयंती समारोह में रविवार को डेहरी पहुंचे शिक्षा मंत्री डा. चंद्रशेखर ने कहा कि मंदिर का रास्ता मानसिक गुलामी का रास्ता है। स्कूल का रास्ता प्रकाश का रास्ता है। सावित्री बाई फुले ने देश में महिलाओं व अनुसूचित जाति के बीच शिक्षा का अलख जगाया था। उनके ही कारण हमारे समाज में अनुसूचित जाति को जगह मिली है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अब एकलव्य का बेटा अंगूठा दान नहीं देगा, जवाब देगा। शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो। उन्होंने कहा कि विधायक फते बहादुर के जीभ की कीमत 10 करोड़ लग गई। हम नौकरी बांट रहे हैं। बिहार में एक साल में पांच लाख से अधिक नौकरी दी गई है। उधर, गांव-गांव अक्षत पहुंचाया जा रहा है। क्या यह आपके बेटे को चपरासी से कलक्टर बना देगा। निश्चित रूप से कलम, कापी और स्कूल ही आपके बेटे को सिपाही से एसपी बनाएगा। अक्षत देने वालों से बचिए और बाबा आंबेडकर की धारणाओं पर चलिए। राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने कहा कि सावित्री बाई ने 19वीं सदी में छुआछूत, सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा विवाह जैसी कुरीतियों के विरुद्ध पति के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने आत्महत्या करने जा रही विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई का अपने घर में प्रसव कराया, फिर उनके शिशु का नाम यशवंत रख दत्तक पुत्र के रूप में अपनाया और पाल पोसकर डॉक्टर बनाया। ज्योतिबा फुले की मृत्यु होने पर सावित्री बाई ने उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने का संकल्प लिया। सावित्री बाई फुले की ही देन है कि आज हमारे समाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ा है। कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर, राजस्व मंत्री आलोक मेहता, मंत्री अनिता चौधरी, डेहरी से राजद विधायक फते बहादुर सिंह सहित अन्य लोगों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। अध्यक्षता राजद जिलाध्यक्ष रामचंद्र ठाकुर ने की।