उद्घाटन: शनिवार, 9 नवंबर, 2024, शाम 4-6 बजे यह प्रदर्शनी शनिवार, 15 फरवरी 2025 तक जारी रहेगी बिहार संग्रहालय, नेहरू पथ, पटना कलाकार सुबोध गुप्ता द्वारा कृत रचनाओं की एक बड़ी प्रदर्शनी का उद्घाटन 9 नवंबर को पटना के बिहार संग्रहालय में किया जाएगा। 1964 में बिहार के खगौल में जन्मे गुप्ता 1992 से दिल्ली और गुड़गांव में स्थित हैं। प्रतिष्ठित संग्रहालयों और कला गैलरी में अपने काम को प्रदर्शित करने हेतु गुप्ता धरती घूम चुके है। इस दौरान बिहार में प्राप्त शिक्षा-दीक्षा से उन्होंने एक अचल नाता बरकरार रखा, जिसने पिछले 30 वर्षों में उनकी अनेक कृतियों को प्रेरित किया है। संग्रहालय के महानिदेशक श्री अंजनी कुमार सिंह द्वारा चयन की गई इस प्रदर्शनी में वर्ष 2003 से 2024 तक की बीस प्रमुख मूर्तियां एवं चित्रों का एक छोटा संग्रह दिखाया जाएगा। गुप्ता साधारण बरतन से शुरुआत करने और इसका उपयोग करके विभिन्न प्रकार की कृतियाँ बनाने हेतु प्रसिद्ध हैं जो न्यूनतम से लेकर अधिकतम तक जाती हैं। वे देश भर में पाए जाने वाले सबसे बुनियादी घरेलू सामानों के साथ-साथ पिछले 30 वर्षों में भारत में हुए तेज़ बदलावों और आर्थिक विकास के विशिष्ट प्रतीकों का उपयोग करके आम भारतीय के जीवन में झांकते हैं। रसोई के उपकरणों के अलावा, कुछ मूर्तियों में मोटरसाइकिल, दूध की बाल्टी, हवाई अड्डे की ट्रॉलियाँ, थाली, एंबेसडर कार और टिफ़िन का भी उपयोग किया गया है। शैली के नजरिए से चुनौतीपूर्ण और वैचारिक रूप से जटिल, गुप्ता की कृतियाँ 20वीं शताब्दी के दौरान पश्चिम में विकसित आधुनिक कला के प्रमुख स्कूलों से जुड़ती हैं एक ऐसी शब्दावली के साथ जो पूरी तरह से भारतीय है। सुबोध गुप्ता की कृतियाँ विख्यात संग्रहालयों के मोनोग्राफिक प्रदर्शनियों में दिखाई गई हैं, जिनमें शामिल हैं: मोनने डे पेरिस (2018); वारविक आर्ट्स सेंटर, कोवेंट्री, यूके (2017); स्मिथसोनियन म्यूजियम ऑफ एशियन आर्ट, वाशिंगटन डीसी (2017); नेशनल गैलरी ऑफ विक्टोरिया, ऑस्ट्रेलिया (2016); म्यूजियम फर मॉडर्न कुन्स्ट, फ्रैंकफर्ट, जर्मनी (2014); कुन्स्टम्यूजियम थून, स्विटजरलैंड (2013); किरण नादर म्यूजियम, नई दिल्ली (2012); और सारा हिल्डेन आर्ट म्यूजियम, टैम्पियर, फिनलैंड (2011)। जर्मेनो सेलेंट द्वारा चयनित गुप्ता का मध्य करियर सर्वेक्षण 2012 में नई दिल्ली के नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट में आयोजित किया गया था, जहां उनकी स्मारकीय मूर्ति “दादा” स्थायी रूप से संग्रहालय के लॉन पर इंडिया गेट के सामने स्थापित है। गुप्ता का प्रतिनिधित्व नई दिल्ली में नेचर मोर्ट, सैन जिमिग्नानो में गैलेरिया कॉन्टिनुआ तथा लंदन में हॉसर एंड विर्थ द्वारा किया जाता है। 2015 में उद्घाटन किए गए बिहार संग्रहालय का निर्माण पूर्व पटना संग्रहालय के औपनिवेशिक युग संग्रह को शामिल करने हेतु किया गया था। संग्रहालय में बिहार क्षेत्र की सभ्यता के आरंभ से लेकर 1764 तक की ऐतिहासिक कलाकृतियाँ प्रदर्शित हैं। इस के अतिरिक्त, पारंपरिक, लोक और समकालीन कला को भी प्रदर्शित किया गया है। यह उल्लेख करने योग्य है कि सुबोध गुप्ता अब संग्रहालय में एक प्रमुख एकल प्रदर्शनी लगा रहे हैं, क्योंकि उन्हें इस भवन में एक स्थायी कलाकृति बनाने हेतु नियुक्त किया गया था। उनकी स्मारकीय मूर्ति “यंत्र” (2017 से) 7 मीटर व्यास की एक विशाल मंडल है जिसे उनके हस्ताक्षर शैली वाले बरतनों के अलावा वास्तविक उपकरणों (जैसे रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर और वॉशिंग मशीन) से विशाल आकार में बनाया गया है।
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