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ईमाम हुसैन अ स की कुर्बानी ने इस्लाम को और इंन्सानियत को जिंदा रखा

हसनपुरा सीवान गोरियाकोठी  प्रखंड क्षेत्र के ग्राम मुस्तफाबाद में
अज़ाखानऐ हुसैनी में पहली मुहर्रम से मजलिस का आग़ाज़ हो चुका है जिस को खिताब मौलाना सैय्यद काशिफ़ रज़ा साहेब कर रहे हैं जो ईरान से तशरीफ़ लाऐ हुऐ हैं।वहीं शायरे अहलेबैत जनाब रेहान मुस्तफाबादी ने बताया के कर्बला की जंग हक़ और बातिल की जंग थी। हज़रत इमाम हुसैन अ स के साथ सिर्फ 72 लोग थे जबकि यज़ीदीयो की फौजें लाखो की तादात में थी बावजूद इसके इमाम हुसैन अ स  ने अपने 72 साथियों के साथ यज़ीदी हुकूमत के सामने खड़े हो कर पूरी दुनिया को ये बता दिया की हक़ के लिए जंगे कैसे जीती जाती है। कर्बला में उनकी शहादत आज इस बात की गवाही दे रहा है कि इस्लाम और इंन्सानियत जिंदा है और यज़ीद का कोई नाम लेने वाला नही है।  उन्होंने कहा की कुछ आतंकवादी संगठनों ने पूरी दुनिया मे इस्लाम का चोला ओढ़ कर एक बार फिर यज़ीदी हुकूमत की याद ताज़ा करने की कोशिश की पर उनका क्या हश्र इराक़ सीरिया, अफगानिस्तान में हुआ सब ने देखा है। ये इमाम हुसैन की शहादत व दुआओ की देन है की ईरान जैसा छोटा सा मुल्क दुनिया की सुपरपॉवर मुल्क के सामने सीना तान कर खड़ा है। ये जज़्बा हम सब को सिर्फ कर्बला वालो की शहादत से ही मिलता है क्योंकि हक़ की हमेशा जीत होती है।ईमामे हुसैन अ स  को सिर्फ़ मुसलमान ही नहीं बल्के हर कौम मानती है और उनकी मुहब्बत हर ऐक के दिल में बसी हुई है यही वज़ह है के आज पुरी दुनिया में ईमामे हुसैन अ स के ग़म को और उनकी शहादत को याद किया जा रहा है।
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