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अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति एवं मौलाना आजाद स्कॉलरशिप योजना को बंद करना केंद्र सरकार का गलत फैसला : निसार अख्तर

मो बरकतुल्लाह राही
 अरवल,24जुलाई:डॉ मनमोहन सिंह की सरकार ने जस्टिस राजेंद्र सच्चर आयोग और रंगनाथ मिश्रा आयोग के सुझावों पर वर्ष 2008 में अल्पसंख्यक समुदाय यथा मुस्लिम, सिख, जैन, पारसी, इसाई एवं बौध धर्म के छात्र-छात्राओं द्वारा आर्थिक कारणों से प्राइमरी स्कूल के बाद शिक्षा छोड़ देने पर चिंता जताते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति देने की अनुशंसा करने पर अल्पसंख्यक समुदाय के लिए छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ किया गया था,जिसे पिछले वर्ष से ही इस  योजना से लाभ प्राप्त करने के लिए भारत सरकार  शायद योजना को ही बंद कर दिया है, क्योंकि अभी अब तक तिथि निर्धारित नही किया है, जो कि जुन-जुलाई में आवेदन करने की तिथि   चरम पर होता था.
        जिला वक्फ कमेटी के सचिव,सह  कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रतिनिधि एडवोकेट निसार अख्तर अंसारी ने  मुस्लिम बुद्धिजीवियों की बैठक के बाद प्रेस बयान जारी करके  बैठक में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना , मौलाना आजाद नेशनल स्काॅलरशीप को पुन: चालु करने की मांग किया गया है. उन्होंने ने आगे बताया कि भारत सरकार धार्मिक आधार पर भेदभाव करते हुए पुर्व की सरकार द्वारा चालू किया गया योजना को बंद करना गलत है. वर्ष 2021-22 में आवेदन औनलाईन लिया गया तथा कई तरह से सत्यापन कराने के बाद भी छात्रवृत्ति राशि नहीं दिया गया, और पिछले साल से छात्रवृत्ति के लिए आवेदन ही नहीं लिया जा रहा है
         वर्ष 2023 – 24  तिथि निकाला ही नहीं गया और फिर  वर्ष 2024 – 25 में अभी तक आवेदन करने की कोई  तिथि नहीं निकाले जाने की निंदा करते हुए केंद्र सरकार से यह मांग किया है कि जल्द से जल्द इस योजना में आवेदन देने की तिथि निर्धारित किया जाय. उन्होंने जारी बयान में कहा है कि इस योजना के शुरू होने से अल्पसंख्यकों में साक्षरता दर तेजी से बढ़ा है, पहले जहां इस समुदाय के बच्चे प्राथमिक विद्यालय तक शिक्षा लेने के बाद कमाने में लग जाते थे, कुछ काम करने लगते थे क्योंकि उनके अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती कि वे अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलवा सके, और अभिभावक बच्चों को कमाने में लगा देते थे, ऐसे में तत्कालीन केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना से इस समुदाय के बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करने लगे थे. जो बच्चे उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं उनके सामने पढ़ाई छोड़ने की मजबूरी नजर आ रही है, क्योंकि कालेजों को देने के लिए शुल्क इनके पास नहीं है, काॅलेज नाम काटने की धमकी दे रहे हैं. इसी तरह से मौलाना आजाद नेशनल स्काॅलरशीप को पहले मोदी सरकार ने इस स्काॅलरशीप का नाम बदल कर बेगम हजरत महल छात्रवृत्ति योजना रख दिया फिर इस साल उक्त योजना को भी बंद कर दिया गया जिससे इस समुदाय की छात्राएँ भी शिक्षा से वंचित हो रही हैं. जो काफ़ी चिंता की बात है,
   बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक कांग्रेस नेता एडवोकेट निसार अख्तर अंसारी ने बताया कि पिछले साल जो छात्र-छात्राएं अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना एवं बेगम हजरत महल स्काॅलरशीप मे आवेदन किया है उन्हें भी अबतक छात्रवृत्ति की राशि उनके बैंक खाता में नहीं आया है और बार बार उसका भेरिफाईड ही हो रहा है, श्री अंसारी ने केंद्र सरकार से यह मांग किया  है कि जल्द से जल्द पिछले साल की छात्रवृत्ति राशि को संबधित छात्रों के बैंक खातों में स्थानांतरित किया जाय और नये सत्र के लिए आवेदन करने की तिथि घोषित किया जाय. बैठक में औकाफ कमेटी के अध्यक्ष  समाजिक कार्यकर्ता हाजी इसलाम अंसारी,  औकाफ कमेटी के सचिव एडवोकेट निसार अख्तर अंसारी, अंजुमन तरक्की ए उर्दू अरवल के कोषाध्यक्ष जमील अख्तर अंसारी, मो जावेद अख्तर, असलम, प्रिंस अख्तर, अमन अख्तर, मंसूरी, सगीर शाह, साकिर अंसारी, शमीम मल्लीक, शमीम अख्तर  भी शामिल हुए.
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