बेगूसराय, 25 दिसम्बर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से आत्मनिर्भर बनने के लिए स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ी बेगूसराय की तीन लाख 33 हजार से अधिक जीविका दीदियां अपने आर्थिक गतिविधियों के साथ-साथ आजकल अपनी सामाजिक भूमिका का निर्वहन भी सफलता पूर्वक कर रही है।
जीविका दीदियां विकसित भारत संकल्प यात्रा के दौरान जहां अपने जीवन में आये बदलावों को भी जनसमूह के साथ साझा कर रही हैं। वहीं ”धरती कहे पुकार के” लघु नाटक का मंचन कर आम लोगों को धरती बचाने की अपील भी कर रही हैं। सहज भाषा में दीदियों द्वारा धरती माता के साथ अमानवीय व्यवहार को भावुकता के साथ प्रस्तुत करती हैं।
वह धरती को बचाने के उपायों से भी लोगों को रुबरु कराती है। धरती कहे पुकार के दृश्य में मंचन द्वारा दीदियां यह बताती है कि अत्यधिक खाद के उपयोग, पेड़ों की कटाई जैसे कृत्य के कारण पृथ्वी लगातार कमजोर होती जा रही है। वह बताती है कि अगर हालात नहीं बदले तो मानव एवं जीवों के जीवन का संकट आ जाएगा।
जीविका दीदियां लोगों से अपील करती हैं कि हम जैविक और हरित खादों का उपयोग करें एवं अधिक-से-अधिक पौधरोपण करें। दीदियां विकसित भारत संकल्प यात्रा के साथ अपने नाट्य प्रस्तुति भी कर रही है, जिसका जनमानस पर काफी व्यापक असर देखने को मिल रहा है। मौके पर उपस्थित लोग इसकी खूब सराहना कर रहे हैं।
मंसूरचक के समसा निवासी नीलम देवी कहती हैं कि इस तरह की गतिविधि से जुड़ने का यह मेरा पहला अनुभव है, पर यह शानदार है। लोगों को कुछ बेहतर कार्य के लिए प्रेरित करना और उन संकल्पों के दायरे में खुद को रखना भी एक बड़ी चुनौती है। इस तरह की गतिविधियों से सांस्कृतिक जीविकोपार्जन की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
मंसूरचक की उर्मिला देवी कहती हैं कि वह खुद हरित खाद बनाती हैं और उसका उपयोग करती हैं। यह हरित खाद पर्यावरण के अनुकूल है। हमने धरती कहे पुकार के नाटक के मंचन द्वारा धरती को बचाने की अपील लोगों से की है। आज रासायनिक खाद से होने वाले नुकसान से हमारी पृथ्वी संकट में है। हम सबों को इसे बचाना होगा।
नावकोठी प्रखंड की संगीता पिछले कई वर्षों से सामाजिक कार्यों से जुड़ी है। उनके द्वारा भी धरती कहे पुकार के नाटक के मंचन द्वारा धरती को बचाने के तरीकों से लोगों को अवगत कराया जा रहा है। वह कहती हैं कि पेड़ों को कटने से रोकना होगा, शहरीकरण पर विराम लगाने की आवश्यकता है। संगीता के मुताबिक हमें खेती में जैविक या हरित खाद का उपयोग करना चाहिए।