गोरखपुर 06 दिसम्बर, 2024: रेलवे प्रेक्षागृह, गोरखपुर में 06 दिसम्बर, 2024 को भारत रत्न बाबा साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महाप्रबन्धक सुश्री सौम्या माथुर, अपर महाप्रबन्धक श्री डी.के.सिंह, प्रमुख मुख्य विभागाध्यक्ष, वरिष्ठ रेल अधिकारी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति एसोसिएषन के अध्यक्ष श्री बच्चू लाल, महामंत्री श्री राम प्रकाष तथा अन्य रेलकर्मियों ने बाबा साहब के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर पूर्वोत्तर रेलवे कला समिति के कलाकारों द्वारा भजन प्रस्तुत किया गया। महाप्रबन्धक सुश्री सौम्या माथुर ने बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि बाबा
साहब डा0 भीमराव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को इंदौर के पास महू छावनी के एक अत्यन्त साधारण परिवार में हुआ था। बाबा साहब ने 06 दिसम्बर, 1956 को शरीर का परित्याग किया। उनकी स्मृति में हम इस दिन को महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाते हैं। बाबा साहब सामाजिक उत्थान के लिये जीवन-पर्यन्त संघर्षरत रहे। वे हम सबके लिए चिरस्मरणीय रहेंगे। बाबा साहब ने शोषित, दलित, महिला व अन्य गरीबों एवं वंचितों के उत्थान के लिये जो कुछ किया वे आज भी प्रासंगिक है और युगों तक उनकी महत्ता को भुलाया नहीं जा सकता है। सुश्री माथुर ने कहा कि बाबा साहब सामाजिक न्याय के अगुवा एवं एक ’’युग प्रवर्तक’’ थे। साथ ही वे षिक्षा के धनी भी थे। उन्होंने समाज को नारा दिया था षिक्षित बनों, संगठित हो तथा संघर्ष करो। षिक्षित समाज से उनका तात्पर्य डिग्रियां प्राप्त करना नहीं था, बल्कि एक समझदार, जागरूक और विचारषील समाज से था जो राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे सके। ’’संगठन’’ से बाबा साहब का तात्पर्य, एक मत होकर एक समान निष्ठा और कर्तव्यबोध के साथ लक्ष्य एवं विकास की तरफ बढ़ना था। महाप्रबन्धक ने कहा कि संविधान की रचना बाबा साहब के कार्यों का एक पहलू था। बाबा साहब विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। षिक्षा प्राप्त करने की उनकी तपस्या और लगन तथा षिक्षा द्वारा प्राप्त जागृति एवं मानसिक दृढ़ता हमारे लिये प्रेरणा का स्त्रोत है। षिक्षा पर सर्वाधिक महत्व देना इस बात का परिचायक है कि बाबा साहब आम जनजीवन की समाज, न्याय, विधि, दर्षन और अर्थषास्त्र के गहन व गंभीर विषयांें पर समझ को विस्तृत करना चाहते थे। यह उनके बहुआयामी, प्रतिभासम्पन्न व दूरदर्षी सोच का प्रतीक है। एस.सी./एस.टी. एसोसिएषन के अध्यक्ष बच्चू लाल ने अपने संबोधन में कहा कि
बाबा साहब पूरे देष के मसीहा थे। उन्होंने 32 डिग्रियां हासिल की थी एवं 09 भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया था। बाबा साहब ने संविधान की रचना की, जिसमें सभी वर्गों को समुचित स्थान दिया। बाबा साहब ने देष को आगे बढ़ाने का कार्य किया। महामंत्री एस.सी./एस.टी. एसोसिएषन श्री राम प्रकाष ने कहा कि विष्व के सर्वाधिक अच्छे संविधान की रचना बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने किया था। आज देष ही नहीं पूरी दुनिया बाबा साहब को सम्मान की दृष्टि से देखती है। उन्होंने हिन्दू कोड बनाकर महिलाओं को बराबरी का अधिकार दिलाया। बाबा साहब ने पूरे देष के नागरिकों को समान अधिकार दिलाने की संविधान में व्यवस्था की। बाबा साहब को उनके कृत्यों के लिये हमेषा याद किया जाता रहेगा।
मुख्य कार्मिक अधिकारी/प्रषासन श्री राजेष कुमार ने स्वागत संबोधन करते हुए कहा कि बाबा साहब दलितों के उद्धारक व भारतीय संविधान के रचयिता थे। अछूतों का उद्धार करना उनका लक्ष्य था। हम अपने विचार व कर्मों को बाबा साहब के अनुरूप ढालें, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ कार्मिक अधिकारी श्री गोपाल प्रसाद गुप्ता ने किया तथा कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रचना श्रीवास्तव ने किया।