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कैबिनेट ने भारतीय रेल में कनेक्टिविटी बढ़ाने के उद्देश्य से दो नई लाइनों और एक मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना को मंजूरी दी

 

गोरखपुर, 28 अगस्त, 2024: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सी.सी.ई.ए.) ने रेल मंत्रालय की लगभग 6,456 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं से दूर-दराज़ के इलाकों को आपस में जोड़कर लाॅजिस्टिक्स दक्षता में सुधार लाने, मौजूदा लाइन क्षमता बढ़ाने और परिवहन नेटवर्क का विस्तार करने के साथ-साथ आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा, जिससे तेजी से आर्थिक विकास होगा। नई लाइन के प्रस्तावों से सीधी कनेक्टिविटी बनेगी और आवागमन में सुधार होगा तथा भारतीय रेल की दक्षता और सेवा सम्बन्धी विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाएगा और भीड़भाड़ को कम करेगा, जिससे भारतीय रेल के सबसे व्यस्त खंडों पर बेहद जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास होगा। ये परियोजनाएं प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की नए भारत की परिकल्पना के अनुरूप हैं, जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक विकास होगा और लोगों को ‘‘आत्मनिर्भर‘‘ बनाया जा सकेगा और उनके रोजगार/स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।ये परियोजनाएं मल्टी-माॅडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम हैं, जो एकीकृत योजना तैयार किए जाने से सम्भव हुआ है और यह लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे 4 राज्यों के 7 जिलों में लागू की जाने वाली तीन परियोजनाएं भारतीय रेल के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 300 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी।इन परियोजनाओं के साथ 14 नए स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा, जिससे दो आकांक्षी जिलों (नुआपाड़ा और पूर्वी सिंहभूम) को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। नई लाइन परियोजनाओं से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 11 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी। मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 1,300 गांवों और लगभग 19 लाख लोगों को कनेक्टिविटी मिलेगी।ये मार्ग कृषि उत्पादों, उर्वरक, कोयला, लौह अयस्क, इस्पात, सीमेंट, चूना पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 45 एम.टी.पी.ए. (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे पर्यावरण के अनुकूल एवं ऊर्जा कुशल परिवहन साधन है और इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की लाॅजिस्टिक्स लागत को कम करने, तेल आयात (10 करोड़ लीटर) को कम करने और कार्बन डाइआॅक्साइड उत्सर्जन (240 करोड़ किलोग्राम) को कम करने में मदद मिलेगी, जो 9.7 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।

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