प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज को झारखंड के दौरे के बार पश्चिम बंगाल और बिहार भी जाएंगे. पीएम मोदी बिहार और पश्चिम बंगाल को 56000 करोड़ से ज्यादा की विकास परियोजनाओं का तोहफा देंगे. इसके साथ ही ममता के गढ़ में एक विशाल जनसभा को भी संबोधित करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे समय में पश्चिम बंगाल जा रहे हैं. जब राज्य सरकार संदेशखाली की घटना को लेकर चारों ओर से घिरी हुई है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जनसभा के माध्यम से ममता सरकार पर तीखा वार करते नजर आएंगे. जिससे लोकसभा चुनाव में बीजेपी को फायदा मिलेगा.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे पहले शुक्रवार को झारखंड पहुंचेंगे. जहां वह धनबाद में 35,700 करोड़ की कई विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. इसके बाद वह पश्चिम बंगाल जाएंगे. जहां पीएम मोदी कल शनिवार को 22,000 करोड़ से ज्यादा के डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को राष्ट्र को समर्पित करेंगे. वहीं बिहार में एनडीए सरकार के गठन के बाद पीएम मोदी पहली बार राज्य के दौरे पर होंगे. इस दौरान वह बिहार में 34,800 करोड़ रुपये की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन, लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे. चुनावी साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर राज्य को विकास परियोजनाओं का तोहफा दे रहे हैं. शुक्रवार को वह पश्चिम बंगाल पहुंचेंगे. अपनी दो दिवसीय बंगाल यात्रा के दौरान पीएम मोदी पहले दिन हुगली के आरामबाग में 7200 करोड़ की परियोजनाओं की नींव रखेंगे. वहीं कल यानी शनिवारको नादिया जिले के कृष्णानगरम में 15000 करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख सुकांत मजूमदार ने कहा कि प्रधानमंत्री के आने पर लाखों स्थानीय लोग जनसभा में शामिल होंगे. पीएम मोदी उत्तर 24 परगना जिले का भी दौरा करेंगे. उनका ये दौरा इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि संदेशखाली में कई स्थानीय महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता शाहजहां शेख पर उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. बीजेपी इस मुद्दे पर बेहद आक्रामक तेवर दिखाती नजर आ रही है.इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी और टीएमसी के बीच पश्चिम बंगाल में कांटे की टक्कर हो सकती है. क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में सूबे की कुल 42 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं टीएमसी 22 सीटें जीत पाई थी. बीते शनिवार को बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रभावी रणनीति बनाने के लिए राज्य के नेताओं के साथ कई दौर की बैठकें की थीं. इन बैठकों में बंगाल की कानून-व्यवस्था, विशेष रूप से पार्टी कैडर के खिलाफ हिंसा और ममता बनर्जी की तुष्टिकरण की राजनीति पर खूब चर्चा हुई थी.