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लोहड़ी का त्योहार पंजाब और नॉर्थन इंडिया में मनाया जाता है

नई दिल्ली  लोहड़ी का त्योहार पंजाब और नॉर्थन इंडिया में मनाया जाता है और इसे सर्दी के मौसम में बोनफायर्स करते हैं जिसके चार फेरे लेते हैं. इस त्योहार को मनाने के साथ-साथ, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते हैं जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं. यहां लोहड़ी पर कुछ धार्मिक दान और उनका महत्व है. लोहड़ी पर धार्मिक दान का महत्व यह है कि यह समृद्धि, सुख, और समृद्धि के साथ-साथ समाज में भलाई बढ़ाता है. इससे समाज में सामंजस्य बना रहता है और अधिकांश लोग उसके लाभान्वित होते हैं. इसके अलावा, यह समाज में दान और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है जो समृद्धि और सहयोग से भरा रहता है. लोहड़ी पर गुड़ और तिल दान किया जाता है. गुड़ का दान विशेषकर गरीबों को किया जाता है, जिससे उन्हें सुख और समृद्धि मिले. तिल का दान सुख-शांति की प्राप्ति के लिए किया जाता है. लोहड़ी पर गुड़ (जग्गरी) का दान करना धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. गुड़ को सूखे में बनाया जाता है और इसे दान करने से सुख-शांति और धन की प्राप्ति होती है. लोहड़ी पर तिल का दान करना सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है. तिल को सूखे में बनाया जाता है और इसका दान सुखद जीवन की प्राप्ति में मदद करता है. विशेषकर भिक्षुकों को दान करने के लिए लोग रोटी और घी का दान करते हैं. इससे उन्हें भोजन की सुविधा होती है और वे भी इस उत्सव का भाग बन सकते हैं. गरीबों को अनाज और धान का दान करना लोहड़ी पर धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. इससे उन्हें भोजन की सुविधा होती है और वे भी इस उत्सव का भाग बन सकते हैं.धन की समृद्धि के लिए कंबल और कपड़े का दान भी किया जाता है. इससे गरीब वर्ग को ठंडक मिलती है और उन्हें बेहतरीन तरीके से से जीने का अवसर मिलता है. सर्दी के मौसम में ब्लैंकेट या कंबल का दान करना धर्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. इससे गरीबों को ठंडक मिलती है और उन्हें ठंडे मौसम में बेहतर रहने का अवसर मिलता है. लोहड़ी पर वस्त्र का दान करना एक अन्य धार्मिक दान है जो गरीबों को उच्चतमता और समृद्धि में सहायक हो सकता है. लोहड़ी पर धार्मिक दानों का महत्व यह है कि इससे समृद्धि और समृद्धि की प्राप्ति होती है, और समाज में सामंजस्य बना रहता है. धार्मिकता के साथ-साथ, ये दान सामाजिक न्याय और सहानुभूति की भावना को बढ़ावा देते हैं जो समृद्धि और आत्मविकास में मदद कर सकता है. लोग धन और अनाज का दान करके गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करते हैं. इससे उन्हें अच्छा भोजन मिलता है और वे अपनी आजीविका में सुधार कर सकते हैं.

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