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इंडी अलायन्स द्वारा सनातन धर्म-संस्कृति का अपमान निंदनीय- डॉ. भीम सिंह

पटना संवाददाता- बिहार भाजपा उपाध्यक्ष व पूर्व मंत्री डॉ. भीम सिंह ने इंडी अलायन्स,  खासकर राजद- कांग्रेस द्वारा सनातन धर्म-संस्कृति के प्रति लगातार की जा रही अपमानजनक टिप्पणियों तथा ऐसी टिप्पणियाँ करने वाले नेताओं की कटु आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम वोट के लिए इन पार्टियों ने करोड़ों लोगों की आस्था पर चोट पहुँचाने को अपना धंधा बना लिया है। ऐसे नेताओं पर ‘हेट स्पीच’ के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए। डॉ. सिंह ने तेजस्वी यादव से पूछा कि अगर धर्म-संस्कृति इतने ही खराब हैं तो डॉ. राम मनोहर लोहिया रामायण मेला क्यों आयोजित करते थे? यह बतलाएं की बाबा-धाम में जल चढ़ाने लाखों लोग, जिनमें पिछड़ी जातियों की ही संख्या ज्यादा होती है, क्यों जाते हैं?  काँवर यात्रा में जाने के लिए क्या कभी किसी ब्राह्मण के द्वारा तीर्थ यात्रियों को बाध्य करते देखा गया है? तेजस्वी  यह भी बताएं कि उनके घर में पूजा-पाठ,पर्व-त्योहार, कर्म-कांड, संस्कार आदि क्यों किए जाते हैं? या कम से कम इतना ही बता दें कि अभी-अभी अपनी बच्ची का मुंडन कराने सपरिवार चार्टेड प्लेन से लाखों रुपए खर्च कर तिरुपति धाम क्यो गए थे? कहीं ऐसा तो नहीं कि वे और उनका परिवार खुद तो धर्म- संस्कृति की सकारात्मकता से लाभ उठाना चाहते हैं पर करोड़ों पिछडी, अत्यंत पिछड़ी तथा अनुसूचित जातियों को बरगला कर ऐसे लाभ से उन्हें वंचित रखना चाहते हैं? डॉ. सिंह ने कहा कि तेजस्वी को धर्म, संस्कृति, मंदिर-तीर्थ, देवी-देवताओं पर टिप्पणी करने से पहले गीता प्रेस, करपात्रीजी महाराज अथवा पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य आदि की तद्विषयक पुस्तकें पढ़नी चाहिए। अगर उन्हें पढाई करना अथवा विषय को समझना कठिन जान पड़ता है तो डॉ. लोहिया की ‘ राम,कृष्ण और शिव’ नामक आलेख ही पढ़ लें अथवा किसी से पढ़वा कर सुन-समझ लें। डॉ. सिंह ने कहा कि राममंदिर विरोधी बयान देने वाले नेता नासमझ और अनपढ़ हैं । उन्हें न धर्म का ज्ञान है न संस्कृति का। कोई भी समाज या राष्ट्र बिना धर्म या संस्कृति के जीवित नहीं रह सकता। इनकी ताक़त को सकारात्मक उपयोग किए जाने की आवश्यकता है न कि दिन-रात हिंदू धर्म तथा ब्राह्मणों की आलोचना करते रहने की। डॉ सिंह ने कहा कि अयोध्या में नव निर्मित राममन्दिर मात्र मंदिर नहीं बल्कि करोड़ों लोगों की आस्था, विश्वास और भारत के पुनर्जागरण का प्रतीक है। यह मंदिर इस बात का भी प्रमाण है कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हिन्दू साढ़े पाँच सौ बरस की लंबी लड़ाई लड़ और जीत सकते हैं।

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